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28 May 2017 · 1 min read

आशा

आशा

कुछ और नहीं सुन ,मेरे हिय, बस तुमसे मिलने की आशा है ,
हाँ तुम ही कहो,जी चौर पिया,क्या प्रेम की यही परिभाषा है l

मधुमास लिए,अहसास लिए मेरे प्रेम का जब तुम आओगे
तुमसे हीं मिलन की आस लिए,हे प्राण प्रिय मुझे पाओगे …l

सुनो चपल नयन क्या कहते हैं,इनकी अपनी ही भाषा है ,
इन्हें देखते ही जिया पढलोगे,इन नयनों की यही आशा है l

नीलम शर्मा

Language: Hindi
434 Views
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