Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2017 · 3 min read

आदमी आदमी को खाये जा रहा है….

आदमी आदमी को खाये जा रहा है
जी हाँ सरकार!
यही आक्रोश दिल को दहलाये जा रहा है!
तुम तलवे तक चाट लेते हो
सत्ता में आने से पहले!
फिर तुम सबसे तलवे चटवा लेते
हो सूद सहित सत्ता में आने के बाद!
वादे करते हो लम्बे-चौड़े बहुत ही ज्यादा
यहाँ तक की तुम्हारे दिमाग से बाहर
होने लगता है तुम्हारा बनावटीपन
तब तुम दस हाथ का लम्बा-चौड़ा
घोषणापत्र छपवा देते हो!
तुम खुद झोपड़ी में रहकर
हमें महल दिलाने की बात करते हो!

फिर आज कैसी पसरी ये दशा है
किसान फाँसी पर झूल रहे हैं
तुम मखमली पलने पर….
क्या यही जनता की दुर्दशा है!
सरकारी चीजों की क्या पस्त दशा है
तुमने गिनवाये करोड़ों रुपये शिक्षा,स्वास्थ्य
तरह-तरह के लुटेरों के नाम किया!
सच तुम्हारी सरकारी चीजों में मैंने
लोगों को घुटते देखा है!
डॉक्टरों की अमीरी अदा है पैसा पकड़ाओ
तो दवा ही दवा है!
वरना हर कोने दगा ही दगा है!
कितना सुव्यवस्थित है शासन तुम्हारा
पता जब चलता है कि तुम आ रहे हो
किराये पर सब बिछी मखमली दरी
जगह-जगह है!
पूरा प्रांगण अमीरी का चोला पहन
लहलहाता है!
तुम्हें भी लगता हैं सब मजा ही मजा है!
रखते हो जैसे ही एक पैर तुम
अपनी सफारी में!
उखड़ी चुकी होती है कितनी मखमली दरी
दूसरा पैर अंदर रखते ही
पहुँच जाती हैं अपने मालिक के घर!
फिर मैदान सब सफा ही सफा है!
तुमने दिये जनता के लिए कुछ तोहफे
बेशक! पर उसकी बड़ी दुर्दशा है!
100नं डायल करो तो बिन गुलाबी
और हरी नोटों के कोई काम नहीं!
108 डायल करो तो बिन पैसे कोई बात नहीं
आदमी मर जाये तो बेहतर है
लेकिन पैसे बिना काम होगा नहीं!
जी हाँ सरकार!
यही तुम्हारी नीतियों की व्यथा है!
पहुँचें भूल से यदि कोई सरकारी अस्पताल
सोच लो पहले ही अब वह मर
चुका है!
बिना गुलाबी हरी गड्डी दिखाये ये
तुम्हारे चमचे सुनते नहीं
जी हाँ सरकार हर जगह यही लूट-पाट
की वजह है!
सरकारी नौकरी तो चाँद तोड़ने
के बराबर हुई क्योंकि वहाँ तुम्हारे
चमचे साक्षात्कार की लगाये अदा हैं!
जितनी ज्यादा हरी गुलाबी दे सकते हो उतनी ही
जल्दी नौकरी !चाहे तुम दसवीं में फेल क्यों न हो!
और नहीं है यदि तुम्हारे पास
ये गुलाबी हरी नोट तो तुम चाहे
चप्पल घिस के आये हो सरकारी चीजों
में कोई जगह नहीं है!
ये तुम्हारे चमचे साक्षात्कार में अयोग्य
साबित करते हैं !
जो खुद अयोग्य होकर आयोग में
आये हैं!
पर जाने कैसी ये तुम्हारी राजनीति की
अदा है!

बड़ी शर्म आती है जब सुनने में आता है
कि लाश को लेकर एक आदमी काँधे
पर गया है!
नहीं तुम्हारी कोई 108 और ना कोई 100
क्योंकि सब पैसे की तवायफें अदा हैं!
अगर मिल जाये गुलाबी हरी गड्डी
हर बाजार में नाचने को तैयार हैं ये!
तवायफें तो तब भी बेहतर हैं
वे नाचती हैं तो सिर्फ अपने कोठे पर
ये तो हर जगह तैयार है!
बस मिल जाये कुछ रंग-बिरंगी कागजों
का नशा!
कभी तो तुम पलने से उतर कर देखो
भुखमरी से लड़ती आम आदमी की दशा
तुम योग करवाते हो बड़े स्तर पर
एक दिन भोजन का भी प्रबन्ध करके देखो
जी हाँ सरकार!
पेट भरेगा नाम तुम्हारा होगा
यकीन न आये तो कभी तुम अपनी
ठाट-बाट से अलग होकर चुपचाप
घूम जाओ इन भिखमंगे-नंगों की
बस्ती में! तुम्हारे चमचों की असलियत
तुम्हारे सामने हर जगह होगी!
जी हाँ सरकार!
तुमसे हर पाँच साल बाद ऊबने की असल
यही वजह है!
.
शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
1 Like · 503 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"कलम का संसार"
Dr. Kishan tandon kranti
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
सावन बरसता है उधर....
सावन बरसता है उधर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
अटल-अवलोकन
अटल-अवलोकन
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
कोशी के वटवृक्ष
कोशी के वटवृक्ष
Shashi Dhar Kumar
Dr अरूण कुमार शास्त्री
Dr अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
'अशांत' शेखर
आज का महाभारत 1
आज का महाभारत 1
Dr. Pradeep Kumar Sharma
व्यवहार अपना
व्यवहार अपना
Ranjeet kumar patre
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
खुद से भी सवाल कीजिए
खुद से भी सवाल कीजिए
Mahetaru madhukar
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
शुभ संकेत जग ज़हान भारती🙏
शुभ संकेत जग ज़हान भारती🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
फितरती फलसफा
फितरती फलसफा
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
ਲਿਖ ਲਿਖ ਕੇ ਮੇਰਾ ਨਾਮ
ਲਿਖ ਲਿਖ ਕੇ ਮੇਰਾ ਨਾਮ
Surinder blackpen
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
विद्यादायिनी माँ
विद्यादायिनी माँ
Mamta Rani
मनुष्य
मनुष्य
Sanjay ' शून्य'
आस
आस
Shyam Sundar Subramanian
मेरी माटी मेरा देश
मेरी माटी मेरा देश
Dr Archana Gupta
धार में सम्माहित हूं
धार में सम्माहित हूं
AMRESH KUMAR VERMA
कहने को सभी कहते_
कहने को सभी कहते_
Rajesh vyas
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
आकाश भर उजाला,मुट्ठी भरे सितारे
Shweta Soni
पसंद प्यार
पसंद प्यार
Otteri Selvakumar
सामाजिक कविता: पाना क्या?
सामाजिक कविता: पाना क्या?
Rajesh Kumar Arjun
😊 लघुकथा :--
😊 लघुकथा :--
*Author प्रणय प्रभात*
देवों की भूमि उत्तराखण्ड
देवों की भूमि उत्तराखण्ड
Ritu Asooja
💐प्रेम कौतुक-223💐
💐प्रेम कौतुक-223💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
gurudeenverma198
Loading...