आदमीयत फिर जगा कर देखिए
जां वतन पर तुम लुटा कर देखिए
दर्द गैरों का उठा कर देखिए
??
नफरते आतिश लगी है चार सूं
प्यार का दीपक जलाकर देखिए
??
अम्न के साये में हो हर जिंदगी
इक शजर ऐसा लगाकर देखिए
??
इस जहां से मिट चुकी इंसानियत
आदमीयत फिर जगा कर देखिए
??
होगा फिर दीदार जन्नत का तुझे
मां के पग में सिर झुका कर देखिए
??
ये जहेजी रस्म ———-खाये बेटियां
इन रिवाजों को —–मिटा कर देखिए
??
होटों पे मुस्कान—— उनके आएगी
दिल ग़रीबों से ——मिला कर देखिए
??
यार रूठा मान ——- जाए पल मे ही
प्यार का नग़्मा ——-सुना कर देखिए
??
चाहते हो गर —–कि दुआ मिलती रहे
बा अदब खुद को ——बनाकर देखिए
??
तेरे कदमों में बिछा दूं दिल मेरा
हमको अपना तो बना कर देखिए
??
जो हैं तरसे प्यार को “प्रीतम सदा
दोस्ती उनसे निभा कर देखिए
??
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)