Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2017 · 2 min read

आत्मा का राम

आत्मा का राम
फटी हुई कथडी में लेटा आत्मप्रसाद अपने जीवन के अंतिम दिन गिन रहा है। उसके ही पास सिरहाने में उसकी पत्नी शांति हाँथों में दवाई लिए बैठी है।सुबह और दोपहर की दवा आत्माप्रसाद पानी के साथ सेवन करता है।परंतु वैध के अनुसार सांझ की दवा दूध के साथ देना है।
इसलिए शांति पिछले आधा घंटे से अपनी बहू रजनी को आवाज लगा रही है। जो एक घंटे से अपने मोबाइल फोन में बात करने में व्यस्त है,और शांति की आवाज को जानबूझ कर अनसुना कर रही है। बहू का बर्ताव शांति के शांत मन को अशांत कर देताहै।
परन्तु फिर भी वह आँखों में आंसू लिए करुण आवाज में अपनी बहू को एक गिलास दूध के लिए आवाज देते रहती है।
अचानक बहार से राम चला आता है। राम,आत्माप्रसाद और शांति की लोंति
संतान है। माँ को व्यथित देख,राम मां से पूछता है। शांति के कुछ कहने से पहले ही रजनी अंदर से बड़-बडाती हुई गुस्से में चली आती है।
हाँ हाँ हाँ,अब कर दो चुगली,करवा दो झगड़ा में तो हूं ही बुरी।और (राम की तरफ देखकर बोली )तुम्हारे मां-बाप को इसके अलावा कोई काम तो है नहीं। अब आप ही बताओ,इतनी गर्मी में दूध वाला कितना कम दूध दे रहा है। उस पर चाय का आये-गये का,और फिर चार टाइम मुन्नी भी तो पीती है। इतने पर भी जो बचता है,तो इन्हें दो। अब इन्हें सेहत बनाने की क्या जरुरत,दवा पानी से भी तो दी जा सकती है।और आज तो एक ही गिलास दूध बचा है,रात में मुन्नी क्या पीयेगी।
इतना कहकर,रजनी पैर पटकते हुए अंदर चली जाती है।
राम,माँ की ओर देखकर कहता है क्या माँ तू भी समझ नहीं सकती वेबजह उसे ही बुरा भला कहती है। सही तो है दवा पानी से ही दे दो। वैसे भी पिता जी को दूध पिलाने से क्या फायदा,उनके लिए तो सब पानी है। कहते हुए राम भी अंदर चला जाता है।
रह जाती है,शांति अपने बीमार पति आत्मा के पैर पर बैठ कर आंसू बहाती हुई। और सोचती है,जिस संतान को अपनी छाती का दूध पिलाया ।जिस बाप ने उसकी आवश्यकता पूर्ति और योग्य बनाने के लिए,अपना सम्पूर्ण जीवन गुजार दिया। अगर
उसका एक टका शूद ही मांगू,तो राम सात जन्मों तक नहीं चुूका सकता। कहते हुये, शांति अपने पति के पैरों में सर रख रोने लगती है।
सहसा! ही शांति के कानों में एक हिचकी के साथ राम-राम की आवाज सुनाई पड़ती है। घबराई शांति,अपने पति के चहरे की तरफ देखती है।और जोर से कीक पड़ती हैं।
क्योंकि,आत्मप्रसाद को अपने पुत्र राम का आसरा नहीं मिला। इसलिए उसकी आत्मा इस शरीर को छोड़,मोक्छ पाने परमेश्वर राम की शरण में चल देती है।अथार्त वह इस देह को त्याग देता है।उसकी मृत्यु हो जाती है ।और रह जाती है। अकेली शांति,चारो तरफ फैली शांति,शांति,शांति,,,,सिर्फ शांति,,,,,,,,,,,,,,,,,,।

ललित कुमार नाथ
हर्रई जागीर जिला-छिन्दवाड़ा
9479735164

Language: Hindi
553 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शिक्षक दिवस पर गुरुवृंद जनों को समर्पित
शिक्षक दिवस पर गुरुवृंद जनों को समर्पित
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
प्रकाश परब
प्रकाश परब
Acharya Rama Nand Mandal
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
Ranjeet kumar patre
मुहब्बत भी मिल जाती
मुहब्बत भी मिल जाती
Buddha Prakash
एक कवि की कविता ही पूजा, यहाँ अपने देव को पाया
एक कवि की कविता ही पूजा, यहाँ अपने देव को पाया
Dr.Pratibha Prakash
तुम्हारी जाति ही है दोस्त / VIHAG VAIBHAV
तुम्हारी जाति ही है दोस्त / VIHAG VAIBHAV
Dr MusafiR BaithA
"गुमान"
Dr. Kishan tandon kranti
2766. *पूर्णिका*
2766. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नहीं लगता..
नहीं लगता..
Rekha Drolia
*मिलाओ एक टेलीफोन, तो झगड़ा निपट जाए (मुक्तक)*
*मिलाओ एक टेलीफोन, तो झगड़ा निपट जाए (मुक्तक)*
Ravi Prakash
लौ
लौ
Dr. Seema Varma
#शुभ_दिवस
#शुभ_दिवस
*Author प्रणय प्रभात*
माँ का जग उपहार अनोखा
माँ का जग उपहार अनोखा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कम्बखत वक्त
कम्बखत वक्त
Aman Sinha
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
कवि रमेशराज
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम गजल मेरी हो
तुम गजल मेरी हो
साहित्य गौरव
सिन्धु घाटी की लिपि : क्यों अंग्रेज़ और कम्युनिस्ट इतिहासकार
सिन्धु घाटी की लिपि : क्यों अंग्रेज़ और कम्युनिस्ट इतिहासकार
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
तन से अपने वसन घटाकर
तन से अपने वसन घटाकर
Suryakant Dwivedi
क्या कहें
क्या कहें
Dr fauzia Naseem shad
मिसाल उन्हीं की बनती है,
मिसाल उन्हीं की बनती है,
Dr. Man Mohan Krishna
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
Ghanshyam Poddar
ती सध्या काय करते
ती सध्या काय करते
Mandar Gangal
क्या लिखूँ....???
क्या लिखूँ....???
Kanchan Khanna
नेता हुए श्रीराम
नेता हुए श्रीराम
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मन की आंखें
मन की आंखें
Mahender Singh
बचपन
बचपन
Vedha Singh
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
Rejaul Karim
वो मेरे दिल के एहसास अब समझता नहीं है।
वो मेरे दिल के एहसास अब समझता नहीं है।
Faiza Tasleem
गर्मी आई
गर्मी आई
Manu Vashistha
Loading...