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28 May 2016 · 1 min read

आज फिर

आज फिर तनहाई में तुम्हे याद किया है ।
आज फिर दिल के बंधन को आजाद किया है ।

आज फिर ये हवाएँ तेरा पैगाम लाई है ।
आज फिर कोई चिठ्ठी मेरे नाम आई है ।

आज फिर मैने तुमको सपनों में देखा है ।
आज फिर कोई तीर मेरे दिल पे तुमने फेंका है ।

आज फिर कोई मुझसे मिलने को आया है ।
आज फिर मेरे सामने मेरा ही साया है ।

आज फिर एक तोहफा अनमोल आया है ।
आज फिर मेरे यार का Miscall आया है ।
……..मुकेश पाण्डेय

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