??आज फिर भी??
जानते हैं वो मेरे दिल का हर राज फिर भी।
देख छिप जाते शरमाकर वो आज फिर भी।।
उनकी अदा का शौकीन हूँ मगर दाद न दूँगा।
वैसे ही कम नज़र नहीं,उनके नाज़ फिर भी।।
लबों से न सही,खत में लिख भेजें राजे-दिल।
सुन हँसी में टाल जाते हैं,दग़ाबाज़ फिर भी।।
मुझे चाहते हैं दिल से,आज़माते हैं नज़र से।
मासूक-फ़रेबी बनते,आशिक़ मिजाज़ फिर भी।।
नजर में क़शीश है,दिल में अरमान असीम हैं।
वो कुछ न कहें समझ जाते हम राज फिर भी।।
रहस्य के मोतियों का खज़ाना प्यार है उनका।
खुद को ग़रीब कहते हैं,क्यों आज फिर भी।।
दिल लगाकर तड़पाना अच्छा नहीं होता”प्रीतम”।
साहिल पर खड़े हैं हम,प्यासे आज फिर भी।।