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9 Jan 2017 · 1 min read

आज का नवयुवक

आज का नवयुवक

अजीब हाल में दिखता है
आज का नवयुवक
जागा है मगर कुछ खोया खोया सा
हँसता भी है पर कुछ रोया-रोया सा
जीवन संघर्ष की इस दौड़ में
चला जा रहा वो किस डगर
नही जरा खुद को भी खबर…!!

बस चलता जाता है
सुनसान सा, अनजान सा
अज्ञान सा बेजान, बेजुबान सा
खो गया लगता है मंजिल अपनी
हुआ जाता है जैसे पथ भ्रष्ट भी….!!

उत्थान की इस तीव्र गति चकाचौंध में
सिमट के रह गया मोबाइल की ओट में
खो रहा आज जाने क्यों पहचान अपनी
ढलकर पाश्चात्य संस्कृति की होड़ में…!!

सम्भलो मेरे नौजवानो के वक्त अभी बाकी है
दुनिया को तुम्हे कौशल दिखाना अभी बाकि है
घर से लेकर देश तक संभालना अभी बाकी है
करो पथ प्रदर्शित के गर्व से चलना अभी बाकी है…!!

—-ःः डी. के. निवतियाँ ःः———

Language: Hindi
1 Like · 810 Views
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