Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2017 · 1 min read

आज ,कल ,कभी

आज उसने बहुत बातें की ,
क्या न कहने की कोशिश की?

सालों तक लटका रहा था,
बस एक पल का फैसला था ।

कभी चाहा था आसमां छू लूँ
अब चाहता हूँ बस सर उठा के चलूँ ।

Language: Hindi
Tag: शेर
598 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Ranjan Goswami
View all
You may also like:
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
संवरना हमें भी आता है मगर,
संवरना हमें भी आता है मगर,
ओसमणी साहू 'ओश'
प्राण प्रतीस्था..........
प्राण प्रतीस्था..........
Rituraj shivem verma
इंद्रधनुष सी जिंदगी
इंद्रधनुष सी जिंदगी
Dr Parveen Thakur
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
"काश"
Dr. Kishan tandon kranti
मसला ये नहीं की उसने आज हमसे हिज्र माँगा,
मसला ये नहीं की उसने आज हमसे हिज्र माँगा,
Vishal babu (vishu)
गुरु सर्व ज्ञानो का खजाना
गुरु सर्व ज्ञानो का खजाना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
लक्की सिंह चौहान
देशभक्ति जनसेवा
देशभक्ति जनसेवा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
किस के लिए संवर रही हो तुम
किस के लिए संवर रही हो तुम
Ram Krishan Rastogi
I have recognized myself by understanding the values of the constitution. – Desert Fellow Rakesh Yadav
I have recognized myself by understanding the values of the constitution. – Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
केतकी का अंश
केतकी का अंश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
समय की गांठें
समय की गांठें
Shekhar Chandra Mitra
घर आना नॅंदलाल हमारे, ले फागुन पिचकारी (गीत)
घर आना नॅंदलाल हमारे, ले फागुन पिचकारी (गीत)
Ravi Prakash
मोक्ष
मोक्ष
Pratibha Pandey
रिश्तों में...
रिश्तों में...
Shubham Pandey (S P)
खत लिखा था पहली बार दे ना पाए कभी
खत लिखा था पहली बार दे ना पाए कभी
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*
*"ममता"* पार्ट-4
Radhakishan R. Mundhra
मेरी जाति 'स्वयं ' मेरा धर्म 'मस्त '
मेरी जाति 'स्वयं ' मेरा धर्म 'मस्त '
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अप कितने भी बड़े अमीर सक्सेस हो जाओ आपके पास पैसा सक्सेस सब
अप कितने भी बड़े अमीर सक्सेस हो जाओ आपके पास पैसा सक्सेस सब
पूर्वार्थ
पानी  के छींटें में भी  दम बहुत है
पानी के छींटें में भी दम बहुत है
Paras Nath Jha
नन्दी बाबा
नन्दी बाबा
Anil chobisa
■आज का दोहा■
■आज का दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
"रामगढ़ की रानी अवंतीबाई लोधी"
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
बादल
बादल
Shankar suman
चन्द्रशेखर आज़ाद...
चन्द्रशेखर आज़ाद...
Kavita Chouhan
Loading...