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13 Aug 2016 · 1 min read

आज़ादी और देश प्रेम विशेषांक

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आज़ादी कहीं खोई
नहीं थी जो मिल गई,
आज़ादी दिलवाई है
उन शहादतो नें उन बलिवानों नें
कुर्बान हुए जो इस
वतन के लिए इस चमन के लिए,
भला क्यों कहते हो तुम
कि आज़ादी मिल गई
क्या-क्या यातनाएं झेली
क्या-क्या क्रुरता झेली,
अरे ! तुम क्या जानों मियाँ बाबू
ये कोई चीज़ नहीं
जो खो जाए और फ़िर मिल जाए,
क्या ज़द्दोजहद की उन्होंने
क्या-क्या पीडा सही,
क्या-क्या दर्द सहा
मेरे ख्याल से ये सब कम है
जो भी हम करते हैं
आज शहादतो के लिए
नमन करते हैं
चरणोस्पर्श करते हैं
ये भी कम ही है,
और जानता हूँ मैं
अगर होता कोई
बीर उनमे से ज़िंदा यहाँ,
तो भला करते क्या
तुम उसके लिए
बस ऐसे ही दो दिन याद करते
फिर कौन था बीर?
क्या? क्यों? ये सब
हा अगर लगाव है दिल से
हरेक सुख में याद करो इन्हें
मैं मानता हूँ कम ही
होगा सब यह भी,
मगर ऐसा न कहो
कि मिली है आज़ादी
आज़ादी तो दिलवाई है हमें
उन शहादतो नें उन बलवानों नें !

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 9 Comments · 500 Views
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