आंखें
नही बात है शब्द नही है
कुछ समझाया आंखों ने
मौन होंठ ने भी बात कही है
कही इसारे रहे बोलते
संकेतो से बात कही है
केवल होठ ही नही बोलते
सब कहते ये बात सही है
कितना दिल की बात बताओ
फिर भी रहती कमी कहीं है
मन भरता क्यो नही बात से
यही बात अनुत्तरित रही है।