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17 May 2018 · 1 min read

अश्रुनाद

. …. मुक्तक ….

भर मदिर नयन पुलकाती
इठलाती सी बलखाती
फिर मेरे हृदयाँगन में
सुस्मृति मधुरिम छा जाती

डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ

Language: Hindi
529 Views
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