Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2017 · 1 min read

अलग पहचान रखते हैं

दिवाने हैं हथेली पर हमेशा जान रखते हैं
उबलते दर्द सीने में मगर मुस्कान रखते हैं

उजाला बाँटते सबको मोहब्बत ही सिखाते हैं
भले अपना घरौंदा ही सदा सुनसान रखते हैं

मुझे महसूस कर लोगे भले हो भीड़ लाखों की
मिलाते हाथ तो सबसे अलग पहचान रखते हैं

मिले दुश्मन अगर हम से गले से भी लगाते हैं
भरे शोले निग़ाहों में दिल मे तूफान रखते हैं

तुझे पाने की हसरत है मगर तुम से ही डरता हूँ
तेरी मुस्कान की खातिर छुपा अरमान रखते हैं

मुझे लूटा यहाँ जिसने अगर मेरे दर आता है
भुला सारे गिले शिकवे बना मेहमान रखते हैं

सितमगर लाख हो कोई डिगा सकता नही मुझको
जुदा कैसे करोगे जिस्म दो इक जान रखते हैं

– ‘अश्क़’

2 Likes · 2 Comments · 275 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राना दोहावली- तुलसी
राना दोहावली- तुलसी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
हकीकत पर एक नजर
हकीकत पर एक नजर
पूनम झा 'प्रथमा'
संस्कार
संस्कार
Sanjay ' शून्य'
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr. Seema Varma
" दिल गया है हाथ से "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
नीची निगाह से न यूँ नये फ़ित्ने जगाइए ।
Neelam Sharma
■सीखने योग्य■
■सीखने योग्य■
*Author प्रणय प्रभात*
गीत शब्द
गीत शब्द
Suryakant Dwivedi
जंगल में सर्दी
जंगल में सर्दी
Kanchan Khanna
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
sushil sarna
आसां  है  चाहना  पाना मुमकिन नहीं !
आसां है चाहना पाना मुमकिन नहीं !
Sushmita Singh
गुरु से बडा न कोय🌿🙏🙏
गुरु से बडा न कोय🌿🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कितना खाली खालीपन है !
कितना खाली खालीपन है !
Saraswati Bajpai
लघुकथा - एक रुपया
लघुकथा - एक रुपया
अशोक कुमार ढोरिया
हे मृत्यु तैयार यदि तू आने को प्रसन्न मुख आ द्वार खुला है,
हे मृत्यु तैयार यदि तू आने को प्रसन्न मुख आ द्वार खुला है,
Vishal babu (vishu)
महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
काश तुम्हारी तस्वीर भी हमसे बातें करती
Dushyant Kumar Patel
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
पूर्वार्थ
*पाकिस्तान में रह गए हिंदुओं की पीड़ा( तीन* *मुक्तक* )
*पाकिस्तान में रह गए हिंदुओं की पीड़ा( तीन* *मुक्तक* )
Ravi Prakash
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
Anand Kumar
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वंशवादी जहर फैला है हवा में
वंशवादी जहर फैला है हवा में
महेश चन्द्र त्रिपाठी
हजारों लोग मिलेंगे तुम्हें
हजारों लोग मिलेंगे तुम्हें
ruby kumari
कृष्ण जन्म
कृष्ण जन्म
लक्ष्मी सिंह
दो दोस्तों की कहानि
दो दोस्तों की कहानि
Sidhartha Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
💐प्रेम कौतुक-385💐
💐प्रेम कौतुक-385💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भाई दोज
भाई दोज
Ram Krishan Rastogi
कलयुग मे घमंड
कलयुग मे घमंड
Anil chobisa
Loading...