अभी आरक्षण पर क्यें करे बात….?
उम्र है अभी जवान
फिर आरक्षण पे क्यों करें बात ।
हमें क्या पड़ी है
कौन सी मुश्किल घड़ी है
आरक्षण विरोध में यारो
कठिनाई भी बड़ी है
रोड़ का खाक छानें
आखिर हम क्यों जागें
जब ऐसे ही चल रहा काम
फिर आरक्षण पर क्यों करें बात।
चलो इश्क फरमाते है
कुछ लड़कियों को भरमाते हैं
एक क्या दो तीन पटाते हैं
पहले खेलते खाते है
पापा ने कमाया है हमें गम कैसा
चलो जी भर उड़ाते हैं।
दबंग बन रौब जमाते है,
गम ही क्या है हमें आज
फिर आरक्षण पे क्यों करे बात।
जवानी मौज मस्ती में बीताते है
चलो कोई फिल्म देख आते है
यारों संग जलसा लगाते है
मुफ्त का खाना छक कर खाते हैं
हसी ठिठोली में जवानी बीताते हैं।
क्यों करें संताप, जिन्दा है जब बाप
फिर आरक्षण पर क्यों करें बात।
हम भी तब जागेंगे
जब
बच्चे होंगे जवान
तब कुछ करना चाहेंगे
किन्तु समय न होगा साथ,
भावी पीढी कोसेगी,मांगेगी जवाब
किन्तु उन्हें देने को खाली होगा हाथ
फिर वो झल्लायेंगे कहेंगे नकारा था मेरा बाप
अभी आरक्षण पर कौन करे बात।
©®°°पं.संजीव शुक्ल “सचिन”