” अब शरारत – होने को है ” !!
मौन तुम हो ,
मौन हम हैं !
जितना पा लें ,
उतना कम है !
दुनिया सिमटी ,
है बांहों में !
अभी बहुत कुछ –
खोने को है !!
द्वार मन के ,
बंद हैं अब !
धड़कनों में ,
द्वन्द है अब !
रोम रोम हो ,
कहते पुलकित !
दिल , दिल में –
समोने को है !!
न है शिकवे ,
न शिकायत !
अब तो बरपी ,
है ईनायत !
गुनगुनाते अधर ,
स्वर मद्धम !
मिल जुल कर –
डुबोने को हैं !!