अब वतन में हर तरफ ही प्यार होना चाहिए
ग़ज़ल
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अब चमन दिल का मेरे गुलजार होना चाहिए
जिंदगी में अब ग़मे इतवार होना चाहिए
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अब वतन में हर तरफ ही प्यार होना चाहिए
साथ सब मिल कर रहें एतबार होना चाहिए
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मुद्दतों से मुफ़लिसी का जह्र हैं जो पी रहे
आज उनको भी यहां जरदार होना चाहिए
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काटना है नफरतों के ऊंचे -ऊंचे पेड़ को
फिर दिलों में प्यार ही बस प्यार होना चाहिए
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जिन्दगी का फिर मजा कुछ तो अलग होगा सनम
संग फूलों के सफर में खार होना चाहिए
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देश पर जो मर ——— मिटे मेरी सुरक्षा के लिए
उनके खातिर दिल में कुछ आभार होना चाहिए
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हैं किए सबने दुआ ——-हमदान के जो वास्ते
ऐ खुदा न वो दुआ ——–बेकार होना चाहिए
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जिंदगी अनमोल – है हर हाल में जीना इसे
एक दो ग़म से नहीं ———बेजार होना चाहिए
??
कब तलक “प्रीतम” जिएं दर ब दर ही घूमकर
टूटा फूटा ही —— सही घर – बार होना चाहिए