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28 Aug 2016 · 1 min read

अब कोई वारदात मुश्किल है

हम बिछायें बिसात मुश्किल है
खुद से खुद की ही मात मुश्किल है
………….
अब मुहाफ़िज़ हमारी आँखें हैं
अब कोई वारदात मुश्किल है
…………
मौत से हार मानने वालो
ज़िन्दगी से निजात मुश्किल है
…………
उम्र भर साथ क्या निभाओगे
दो क़दम का भी साथ मुश्किल है
…………
काश तुमको ख़बर ये हो जाये
आज भी दाल भात मुश्किल है
…………
आज के दौर में मियां “सालिब”
सच कहूँ ज़ात-पात मुश्किल है

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