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17 Nov 2016 · 1 min read

अपने वजूद की पहचान कर चला है

आज दिल फिर से मुकम्मल हो चला है
तेरे यादो की गली से मुह मोड़ के चला है

उधार की खुशिया ..जो तुझसे होकर गुजरी
किसी जमाने मे जो थी सिर्फ तुझमे सिमटी

उल्फत के वो फसाने ..जिन्हे गुजरे हुए जमाने
नमी जिनको याद कर हो ..मुह मोड़ के चला है

दामन तेरी उल्फत का बस छोड़ कर चला है
बस !खुद के वजूद की पहचान कर चला है

Language: Hindi
441 Views
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