Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2017 · 1 min read

अपनेपन, मानवता के फूल और भेदभाव की सोच

ना फूल बरस रहे हैं
ना बरसाने की चाह बरस रही है
बस दिल मई एक अजीब सी आग धधक रही है।
असहीशुनाता, असहनशीलता,नस्लियता,भेदभाव और स्वार्थ की चिंगारी से लगी है ये आग
फिर क्यों आज अपनेपन के लिए तरस रही है।
विचारों की संकीर्णता है या भेदभाव की आदत है,
पर मांगते हैं अपनो से प्रेम , फिर भी विरोधी प्रवति पनप रही है।
बासठ,पैसठ,इकत्तर और निन्यानवे मई लदे थे मिलकर क्युकी तब देश बचाना था।
आज देशवासियों से लड़ रहें है क्युकी धर्म, जाति, समाज बचाना है।
लोकतंत्र, सहकारिता शायद किताबों के शब्द ही रह गये,
अब तो बस वही याद है जो ये मिडिया और टीवी वाले कह गए।
राजनितिक मुद्दों का प्रभाव जनता की सोच पर पड़ गया,
पढ़ा-लिखा युवा भी भेदभाव के चक्कर में पड़ गया।
तू नार्थ इंडियन तू साउथ इंडियन तू काला तू गोरा ये कैसा भेदभाव का दौर चला,किस दिशा के हैं ये तो पता चला पर भारतीय हैं ये न पता चला।
जल्द ही हम सब सीमओं को लाँघ जाएँगे ,
जिस देश के लिए चार लड़ाई लड़ी ,उसमे ही आपस मई लड़ जायेंगे।
खुद को शयद बचा भी लें शायद पर देश की एकता और अखंडता को नहीं बचा पाएंगे।

Language: Hindi
455 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नाम हमने लिखा था आंखों में
नाम हमने लिखा था आंखों में
Surinder blackpen
हमारे प्यारे दादा दादी
हमारे प्यारे दादा दादी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
((((((  (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
(((((( (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
Rituraj shivem verma
2356.पूर्णिका
2356.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जी-२० शिखर सम्मेलन
जी-२० शिखर सम्मेलन
surenderpal vaidya
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
With Grit in your mind
With Grit in your mind
Dhriti Mishra
जीवन कभी गति सा,कभी थमा सा...
जीवन कभी गति सा,कभी थमा सा...
Santosh Soni
कानून?
कानून?
nagarsumit326
लिखने – पढ़ने का उद्देश्य/ musafir baitha
लिखने – पढ़ने का उद्देश्य/ musafir baitha
Dr MusafiR BaithA
*खाओ जामुन खुश रहो ,कुदरत का वरदान* (कुंडलिया)
*खाओ जामुन खुश रहो ,कुदरत का वरदान* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
लौटना मुश्किल होता है
लौटना मुश्किल होता है
Saraswati Bajpai
*शीत वसंत*
*शीत वसंत*
Nishant prakhar
रूप तुम्हारा,  सच्चा सोना
रूप तुम्हारा, सच्चा सोना
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुनहरे सपने
सुनहरे सपने
Shekhar Chandra Mitra
मलाल आते हैं
मलाल आते हैं
Dr fauzia Naseem shad
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Meera Singh
प्रेम - एक लेख
प्रेम - एक लेख
बदनाम बनारसी
आपकी लिखावट भी यह दर्शा देती है कि आपकी बुद्धिमत्ता क्या है
आपकी लिखावट भी यह दर्शा देती है कि आपकी बुद्धिमत्ता क्या है
Rj Anand Prajapati
हम उन्हें कितना भी मनाले
हम उन्हें कितना भी मनाले
The_dk_poetry
■ आज की खोज-बीन...
■ आज की खोज-बीन...
*Author प्रणय प्रभात*
भीगे-भीगे मौसम में.....!!
भीगे-भीगे मौसम में.....!!
Kanchan Khanna
संघर्ष........एक जूनून
संघर्ष........एक जूनून
Neeraj Agarwal
जिंदगी हवाई जहाज
जिंदगी हवाई जहाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
!! फूलों की व्यथा !!
!! फूलों की व्यथा !!
Chunnu Lal Gupta
खुले आँगन की खुशबू
खुले आँगन की खुशबू
Manisha Manjari
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
लक्ष्मी सिंह
चंचल मन***चंचल मन***
चंचल मन***चंचल मन***
Dinesh Kumar Gangwar
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏
बोये बीज बबूल आम कहाँ से होय🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भेद नहीं ये प्रकृति करती
भेद नहीं ये प्रकृति करती
Buddha Prakash
Loading...