Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2017 · 1 min read

अधूरे ख्वाब

अपनी मायूसी छिपाने के लिये,
हंसी चेहरे पर दिखाता रहा ।
दिल पर चोटें लगी बहुत,
मगर जख्मों को छिपाता रहा ।।

रोशनी से डर जाता हूं मैं अक्सर,
इसलिये अंधेरों में रहा करता हूं ।
तन्हाई में जीता रहा हूं अब तक,
इसलिये महफिल में जाने से डरता हूं ।।

बादलों का गर्जना ही काफी नहीं होता,
उनका बरसना भी लाज़मी है ।
ख्वाब मुकम्मल नहीं होते कभी,
उसके लिये तरसना ही पड़ता है ।।

ख्वाबों को पूरा होते हुये,
सिर्फ किताबों में ही देखा है ।
हकीकत मे तो ख्वाबों को बस,
सिर्फ उधड़ते ही देखा है ।।

कवि संजय गुप्ता (सिंगला)
मोगीनन्द,नाहन ।
जिला सिरमौर,(हि०प्र०)
मोबाइल 9882521555

Language: Hindi
326 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
डॉ. दीपक मेवाती
जल प्रदूषण पर कविता
जल प्रदूषण पर कविता
कवि अनिल कुमार पँचोली
बादल गरजते और बरसते हैं
बादल गरजते और बरसते हैं
Neeraj Agarwal
गिरगिट
गिरगिट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम अपना भी  जरा ढंग देखो
तुम अपना भी जरा ढंग देखो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
Sanjay ' शून्य'
कब तक
कब तक
आर एस आघात
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
पूर्वार्थ
दिल से मुझको सदा दीजिए।
दिल से मुझको सदा दीजिए।
सत्य कुमार प्रेमी
#दोहा :-
#दोहा :-
*Author प्रणय प्रभात*
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
शिव स्तुति
शिव स्तुति
Shivkumar Bilagrami
23/79.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/79.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*जीता हमने चंद्रमा, खोज चल रही नित्य (कुंडलिया )*
*जीता हमने चंद्रमा, खोज चल रही नित्य (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
शेखर सिंह
*कोई नई ना बात है*
*कोई नई ना बात है*
Dushyant Kumar
कब बोला था / मुसाफ़िर बैठा
कब बोला था / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
किसी का यकीन
किसी का यकीन
Dr fauzia Naseem shad
सरस्वती वंदना-3
सरस्वती वंदना-3
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
फितरते फतह
फितरते फतह
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
वसंततिलका छन्द
वसंततिलका छन्द
Neelam Sharma
बंद पंछी
बंद पंछी
लक्ष्मी सिंह
नील नभ पर उड़ रहे पंछी बहुत सुन्दर।
नील नभ पर उड़ रहे पंछी बहुत सुन्दर।
surenderpal vaidya
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
क्या होगा कोई ऐसा जहां, माया ने रचा ना हो खेल जहां,
क्या होगा कोई ऐसा जहां, माया ने रचा ना हो खेल जहां,
Manisha Manjari
चाँद पूछेगा तो  जवाब  क्या  देंगे ।
चाँद पूछेगा तो जवाब क्या देंगे ।
sushil sarna
Charlie Chaplin truly said:
Charlie Chaplin truly said:
Vansh Agarwal
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
जब से देखी है हमने उसकी वीरान सी आंखें.......
कवि दीपक बवेजा
Loading...