Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2016 · 5 min read

अधूरी सी कहानी तेरी मेरी – भाग ४

अधूरी सी कहानी तेरी मेरी – भाग ४

गतांक से से …………

सोहित के मन में तो तुलसी के प्रति प्रेम पनप चुका था, किन्तु तुलसी के मन में पनपना अभी बाकी था | तुलसी भी अब सोहित को पसंद करने लगी थी | सोहित को तुलसी से मिलने का इन्तजार करना अच्छा लग रहा था | सर्वे के हर राउंड पर तुलसी और सोहित की छोटी छोटी सी मुलाकातें होती और थोड़ी थोड़ी हँसी ठिठोली भी होने लगी थी | तुलसी को अब सोहित का व्यवहार पसंद आने लगा था | सोहित का हमेशा हँसते हुए बात करना, मुस्कुराते रहना और हर बात को बारीकी से प्यार से समझाना रिझा रहा था लेकिन वो अभी भी बोलने से झिझकती थी लेकिन अब वो सोहित की हर बात का जवाब ज़रूर देती थी | वहीँ सोहित वैसे तो ऑफिसियल बातें खूब कर लेता था और ज्ञान भी खूब बाँट लेता था लेकिन अपने दिल की बात तुलसी के सामने कहते हुए डरता था | इस तरह ३ – ४ महीने और बीत गए |

अब तक सोहित को तुलसी को देखते हुए ८ महीने आ चुके थे और नवम्बर आ चुका था | सोहित को अपने दिल की बात न कह पाने के पीछे दो कारण थे, एक तो उसके पद की गरिमा और दूसरा वो लड़कियों से बातें करने में झिझकता बहुत था | नवम्बर के रूट प्लान को सोहित ने देखा तो उसमे तुलसी का फोन नंबर लिखा हुआ था | ये देखकर वो बहुत ही ज्यादा खुश हुआ और उसने तुरंत ही तुलसी का नंबर अपने फ़ोन में सेव कर लिया | अबकी बार जब सोहित सर्वे पर गया तो उसने प्रेम नगर थोड़ी देर में गया | जब तक सोहित प्रेम नगर आया तब तक १० बज चुके थे | सबसे पहले उसने टीम से मिलने का निर्णय लिया | उसे तुलसी अकेली ही काम करती मिली | तुलसी ने अभी तक ४० घरों का ही सर्वे किया था | जैसे ही सोहित तुलसी के पास पहुंचा, तुलसी सकपका गयी | लेकिन तुलसी ने अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ सोहित का स्वागत किया और बोली :

तुलसी: नमस्ते सर,

सोहित: आप हमेशा मुस्कुराती ही रहती हैं |

तुलसी : आपको हमारा मुस्कुराना पसंद नहीं है क्या?

सोहित: पसंद तो बहुत है | आप भी मेरी ही तरह ही मुस्कुराती रहती हैं |

तुलसी : नहीं आप मेरी तरह हैं, आप मुझे देखकर मुस्कुराते रहते हैं
सोहित ने मन ही मन कहा , कह तो तुम सच ही रहो हो, जब भी तुम्हे देखता हूँ चेहरे पर एक मुस्कान खुद ब खुद आ जाती है |

तुलसी: वैसे मैं आपके बारे में ही सोच रही थी और आप आ भी गए |

सोहित: आपने सोचा और हमे पता लग गया तो हम आ गए |

तुलसी: अच्छा जी, सच्ची !

सोहित: इस समय आप कुछ और भी सोचती तो आपको मिल जाता | आप ये बताओ आपकी चाची कहाँ है? आप अभी तक अकेली ही काम कर रही हो?

तुलसी: तभी तो मैं सोच रही थी चाची आयी नहीं हैं कहीं आप आ न जाएँ | वो आने ही वाली हैं, घर पर थोडा काम था इसलिए उनको आने में देर हो गयी आज |

सोहित: उनको बोलना जल्दी आया करें | मैं सर्वे करके आता हूँ |

जैसे ही सोहित गया तुलसी खुद से ही बोलने लगी , “इन चाची पर भी बड़ा गुस्सा आ रहा है, खुद देर से आती हैं और अकेले काम करके भी सुनना मुझे ही पड़ता है | आएँगी तो बताउंगी मैं उन्हें |”

उधर सोहित ने कहीं बाहर जाने के बजाये उन्ही के क्षेत्र का सर्वे करना शुरू कर दिया | उसने सोचा दुबारा कहाँ आऊंगा अभी ही यहाँ का काम पूरा करके चलता हूँ, तब तक इनका भी काम इतना तो हो ही जाएगा कि मैं ठीक से रिपोर्ट बना सकूँ |

जब तक सोहित पहले घर से सर्वे करता हुआ आया तब तक तुलसी ७०वें घर तक पहुँच गयी थी | लेकिन वो अभी भी अकेली ही काम कर रही थी | सोहित को देखते ही बोल पड़ी,

तुलसी: ये क्या हो रहा है मेरे साथ? मैं अभी फिर आपको ही सोच रही थी | चाची अभी तक नहीं आयी हैं, सर कहीं दोबारा न आ जाएँ | अगर आ गए तो फिर मुझे सुनायेंगे | और आप दोबारा भी आ गए |

सोहित: हम अन्तर्यामी जो हैं, हमे लगा भक्त हमें पुकार रहे हैं तो हम अपने भक्त की पुकार सुन कर चले आये |

ये सुन कर तुलसी मुस्कुरायी और बोली

तुलसी: आप भगवान् थोड़े ही हैं जो मन की बात सुन ली|

सोहित: अच्छा वो छोडो ये बताओ वो आयी क्यों नहीं अभी तक? चाची से आपकी बात हुई ?

तुलसी: हाँ, मेरी उनसे बात हुई है, वो अपने क्षेत्र की ‘आशा’ कार्यकर्त्री हैं, किसी की डिलीवरी करवाने के अस्पताल गयी हैं | वो बोल रही थी जल्दी आ जायेंगी | मैंने उनसे कहा भी था कि सर आयेंगे तो मुझे डांटेंगे |

सोहित: ये तो गलत है, एक तो आप अकेली काम कर रही हैं, पैसा वो भी लेंगी | अगर उनको जाना था तो कम से कम अपनी जगह किसी और को भेज देती | कम से कम आपको परेशान तो नहीं होना पड़ता |

तुलसी: परेशानी तो कुछ नहीं है, लेकिन आप भी सही कह रहे हैं | अबसे जब वो आएँगी तभी काम शुरू किया करुँगी |

सोहित ने कुछ ज़रूरी निर्देश दिए, और तुलसी की रिपोर्ट की जांच की और बाकी बचे हुए काम ख़तम करने चला गया |

उधर तुलसी ने अकेले ही सारा काम ख़तम किया | उसको मालूम था कि आज चाची नहीं आने वाली हैं, फिर भी उसने सोहित को झूठ बोला था कि चाची आ जायेगी | सोहित की बातों को सोचकर तुलसी का मन गुदगुदा रहा था | “सर कैसे बोल रहे थे, मन की बात सुन ली, पागल कहीं के | ऐसा भी होता है कहीं कि कोई मन की बात सुन ले |” और एक बार फिर से खुद ही हँस पड़ी , “पागल”|

उधर सोहित भी सारे काम ख़त्म करके वापस घर जाते हुए भी खुश था | एक तो जो बात आज तुलसी से हुई थी वो सोचकर वो मन ही मन खुश हो रहा था | ख़ुशी का दूसरा कारण भी था, आज उसको तुलसी का फ़ोन नंबर भी मिल गया था |

तुलसी के मन में भी सोहित के लिए सॉफ्ट कार्नर आ चुका था | वो भी सोहित को बार बार सोच रही थी | आज हुई सारी बातें उसने अपनी दीदी को बताई | दीदी भी खुश हुई उसकी बातें सुनकर |

अगले दिन सोहित ने तुलसी को फ़ोन किया और पूछा, “ चाची आई थी कल या नहीं आई थी ?”

तुलसी ने कहा, “ नमस्ते सर, आपके जाते ही चाची आ गयी थी “ (तुलसी को मालूम था कि वो सर से साफ़ झूठ बोल रही है |)

सोहित ने भी थोड़ी न नुकुर करके तुलसी का यकीन कर लिया |

ये थी सोहित और तुलसी की पहली टेलीफोनिक बातचीत | कहाँ तो सोहित तुलसी का फ़ोन नंबर लेने के लिए कितना बेचैन था और बात की शुरुआत की भी तो सिर्फ काम की बात से |

दोनों के दिन यूँ ही हँसी ख़ुशी गुजर रहे थे | इस बार का सप्ताह ख़त्म होते होते सोहित में मन में और भी आशा का संचार हो गया था | वो सोच रहा था

इस बार इन्तजार ज्यादा लम्बा नहीं होगा, क्योकि फ़ोन नंबर तो है ही बात करने के लिए | जब चाहे फ़ोन कर करके तुलसी से बात कर लेगा | और आने वाले दिनों के मीठे सपने बुनने में लग गया | सपने, सुन्दर, सुहाने और मीठे सपने , ये ही तो है अपने, जिन्हें हमसे कोई नहीं चुरा सकता | सोहित भी ऐसे ही सपने बुनने में लगा था |……………….

क्रमशः

“सन्दीप कुमार”

२१.०७.२०१६

Language: Hindi
624 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यादें
यादें
Dr fauzia Naseem shad
खुशियों को समेटता इंसान
खुशियों को समेटता इंसान
Harminder Kaur
एक अकेला
एक अकेला
Punam Pande
तुम मेरी किताबो की तरह हो,
तुम मेरी किताबो की तरह हो,
Vishal babu (vishu)
💐प्रेम कौतुक-323💐
💐प्रेम कौतुक-323💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दिल की भाषा
दिल की भाषा
Ram Krishan Rastogi
आइना अपने दिल का साफ़ किया
आइना अपने दिल का साफ़ किया
Anis Shah
■ हो ली होली ■
■ हो ली होली ■
*Author प्रणय प्रभात*
**सिकुड्ता व्यक्तित्त्व**
**सिकुड्ता व्यक्तित्त्व**
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पर्यावरणीय सजगता और सतत् विकास ही पर्यावरण संरक्षण के आधार
पर्यावरणीय सजगता और सतत् विकास ही पर्यावरण संरक्षण के आधार
डॉ०प्रदीप कुमार दीप
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
।।आध्यात्मिक प्रेम।।
।।आध्यात्मिक प्रेम।।
Aryan Raj
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
काश लौट कर आए वो पुराने जमाने का समय ,
काश लौट कर आए वो पुराने जमाने का समय ,
Shashi kala vyas
तुम पढ़ो नहीं मेरी रचना  मैं गीत कोई लिख जाऊंगा !
तुम पढ़ो नहीं मेरी रचना मैं गीत कोई लिख जाऊंगा !
DrLakshman Jha Parimal
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
Ravi Betulwala
2781. *पूर्णिका*
2781. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*डमरु (बाल कविता)*
*डमरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मौहब्बत में किसी के गुलाब का इंतजार मत करना।
मौहब्बत में किसी के गुलाब का इंतजार मत करना।
Phool gufran
भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का भविष्य
भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का भविष्य
Shyam Sundar Subramanian
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
मित्रो जबतक बातें होंगी, जनमन में अभिमान की
मित्रो जबतक बातें होंगी, जनमन में अभिमान की
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
झोली फैलाए शामों सहर
झोली फैलाए शामों सहर
नूरफातिमा खातून नूरी
काव्य
काव्य
साहित्य गौरव
कुछ लोग
कुछ लोग
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
राह तक रहे हैं नयना
राह तक रहे हैं नयना
Ashwani Kumar Jaiswal
एक बार बोल क्यों नहीं
एक बार बोल क्यों नहीं
goutam shaw
"बुराई की जड़"
Dr. Kishan tandon kranti
दीवारों की चुप्पी में
दीवारों की चुप्पी में
Sangeeta Beniwal
"राज़-ए-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...