Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2016 · 5 min read

अधूरी सी कहानी तेरी मेरी -भाग 3

अधूरी सी कहानी तेरी मेरी – ३

कितनी खूबसूरत होती हैं ये इन्तजार की घड़ियाँ …….
हाँ खूबसूरत तो होती हैं लेकिन बेचैन भी करती हैं ये घड़ियाँ | तब तो और भी ज्यादा जब आपको पता हो कि आप एक महीने बाद ही मिलोगे और आपको पता लगे अभी एक और महिना इन्तजार करना पड़ेगा | सोहित के साथ भी यही हुआ | इस बार सर्वे का काम एक महीने के बजाये दो महीने बाद का तय हुआ था | अब तो सोहित भी बेचैन हो गया और सोचने लगा, “काश उसका फ़ोन नंबर मांग लिया होता !” उधर तुलसी ने अभी सोहित के बारे में कुछ खास तो नहीं सोचा था, हाँ उसको मुस्कुराते हुए सोहित की छवि बहुत अच्छी लगी थी | लेकिन तुलसी ने ये बात जाहिर नहीं की थी | वो अपनी जॉब की व्यस्तता और घर की जिम्मेदारियों के बीच की कुछ सोचने का समय ही नहीं निकाल पायी | सोहित, तुलसी की मोहक छवि को अपने दिलोदिमाग से निकाल नहीं पा रहा था और मिलने को तड़प रहा था |
लड़के भी कितनी जल्दी प्यार में पड़ जाते हैं उन्हें खुद ही पता नहीं चलता | सोहित के दिल में प्यार का दीपक टिमटिमाने लगा था लेकिन जिसके लिए प्यार जागा था अभी तक उसे इस बात की खबर तक न थी |
दो महीने का इन्तजार बहुत बड़ा हो गया था | और सर्वे का दिन भी आ गया | सोहित मोबाइल सर्वे टीम को सबसे पहले मिल रहा था | वो इस बात से अनजान था कि उसको सरप्राइज मिलने वाला है | जैसे ही वो रेलवे स्टेशन की मोबाइल सर्वे टीम से मिलने पहुंचा, उसकी दिल अत्यधिक ख़ुशी से भर गया | वहां उसने वो देखा जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी | आज तुलसी इस टीम में काम कर रही थी | सोहित को देखते ही तुलसी अपनी रिपोर्ट शीट लेकर खड़ी हो गयी और सोहित को औपचारिक अभिवादन किया | सोहित ने पीड़ा की एक लहर को तुलसी के चेहरे से गुजरते देखा तो पुछा , “ क्या हुआ तुलसी? आपकी तबियत ठीक तो है?” तुलसी ने कहा , “सब ठीक है सर|” लेकिन सोहित कैसे विश्वास करता उसको तुलसी पीड़ा में दिखाई दे रही थी | थोडा जोर देने पर तुलसी ने बताया कि अक्सर उसको पेट के साइड में असहनीय दर्द होता है | सोहित के मन में तुलसी के लिए सहानुभूति के भाव आ गए और वो बोला, “ आपको आराम करना चाहिए ऐसी स्थिति में तो, काम कोई और भी तो कर सकता था | कभी जाँच करवाई इसकी, हो सकता है ये पथरी का दर्द हो ?” तुलसी ने इनकार में गर्दन हिलाई और बोली, नहीं सर, मैंने दवाई खायी है, अभी ठीक हो जाएगा|”
सोहित –“ठीक तो हो ही जाएगा | मगर तुम बहुत परेशान लग रही हो | घर जाओ और आराम करो | तुम्हे इतना परेशान देखकर मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा |”
तुलसी – “बस अभी थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा सर | मुझे तो इसकी आदत सी हो गयी है | आप चिंता मत कीजिये सर|”
सोहित – “बुरी आदतें नहीं डालनी चाहिये, कष्टकारी होती हैं | अपना ख्याल रखियेगा, और आपनी सहयोगी से काम लीजियेगा |
इतना कहकर सोहित वहां से आगे का काम देखने के लिए निकल गया |
सर्वे के दौरान सोहित ने कनकपुर में एक सोहित एक और टीम का काम देख रहा था तो पाया १० बजे तक अपने क्षेत्र में थोडा सा ही काम किया था और वो लोग काम करते हुए घबरा रहे थे | सोहित ने कारण जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि आज तो बड़ी मुश्किल से जान बची उनकी | सोहित ने बोला, “ आप लोग घबराएं नहीं और ठीक से बताएं कि क्या हुआ ?” उनमें से एक ने कहा, “ सर, हम काम कर रहे थे एक जगह पर छोटा सा नाला पार करना था तो वहां पर सांप था, हम एक से पीछे हटे तो पीछे कुत्ता था उसने पंजा मार दिया |”
सोहित – “ ओह, चलिए आप लोग ठीक तो हैं, घबराएं नहीं, और थोड़ी देर घर जाकर आराम करें और बाकी का काम आप लोग दोपहर के बाद कर लेना |”
वो दोनों फिर भी परेशान हो रही थी कि कहीं ये उनकी रिपोर्ट गलत न बना दे | इस पर सोहित ने उन दोनों को निश्चिन्त किया और कहा, “ आप लोग अच्छा काम करते हैं, मैं ३ बजे के बाद फिर देखने आऊंगा आपका काम, तब तक आप लोग आराम करके भी काम ख़त्म कर ही लेंगे |”
सोहित ने सारे काम ख़त्म कर लिए ४ बजे तक और फिर तुलसी को सोचने लगा, “कितनी परेशानी में भी काम कर रही थी बेवकूफ, आराम नहीं कर सकती थी |”
पागल दिल कह रहा था, अगर वो आज आराम करती तो तुम आज कैसे मिलते | अगले दो तीन दिनों तक सोहित तुलसी को नहीं मिल पाया |
तीसरे दिन सोहित को प्रेमनगर का भी सर्वे करना था तो सोहित इस मौके को कैसे छोड़ता | वो सुबह जल्दी उनके क्षेत्र में पहुँच गया, अभी तक चाची और तुलसी ने २० – २५ घरों का ही सर्वे किया था | और सोहित भी सर्वे करता हुआ उन दोनों के पास पहुँच गया |
सोहित – “अभी तक इतना ही काम हुआ है आप लोगों का?”
तुलसी – “सर, आप बहुत जल्दी आ जाते हो हमारा काम देखने तो कितना काम होगा?”
सोहित – “आप लोग जल्दी से काम ख़त्म करके भी तो निकल जाते हो, इसी वजह से हमें भी जल्दी आना पड़ता जिससे की आप लोगों को फील्ड में ही पकड़ सकें |”
तुलसी – “आज तक कोई भी इतनी जल्दी नहीं आया, आप ही हो जो इतनी जल्दी आ जाते हो |”
सोहित – “ काम करना है तो हमें भी जल्दी तो आना ही पड़ेगा, आप लोग काम कीजिये मैं फिर आऊंगा देखने |”
और वो निकल गया | तुलसी जो अब तक बात करने से झिझकती थी, बात का जवाब देने लगी थी | सोहित के दोस्ताना व्यवहार से थोडा खुल रही थी वो | उसको भी सोहित से बात करना अच्छा लग रहा था | अब तक जो भी लोग आते थे वो इन लोगों को डराते थे लेकिन सोहित माहौल को दोस्ताना बनाने का प्रयास करता था |
११ बजे के लगभग सोहित फिर प्रेमनगर क्षेत्र में आया | इस बार उसने आज के दिन के अंतिम घर की तरफ से सर्वे शुरू किया, उधर टीम भी काम ख़त्म करने ही वाली थी कि सोहित उनसे फिर आ टकराया |
तुलसी – “क्या है सर, आप तो दो दो बार हमें फील्ड में पकड़ लेते हो | आज तक तो कोई भी हमें फील्ड में पकड़ ही नहीं पाता था | हमारे सुपरवाइजर ही हमें बुलाते थे |”
सोहित – “ वो लोग फील्ड मेम्बरों को फील्ड में पकड़ने का तरीका नहीं जानते थे लेकिन मैं जानता हूँ |”
इस तरह दोनों में थोड़ी थोड़ी बातें और छोटी छोटी तकरार होनी शुरू हो गयी थी |

तुलसी को भी सोहित कुछ कुछ भाने लगा था और वो भी उसकी बातें सोचने लगी थी | इस बार बस ये ही दो मुलाकातें हुई सोहित और तुलसी की | और सप्ताह का अंत हो गया | सोहित फिर से बिना फ़ोन नंबर लिए ही चला गया | उसे भी इन्तजार करना अच्छा लगने लगा था | उधर तुलसी भी सोहित को पसंद करने लगी थी | तुलसी खुद भी इस बात से अनजान थी कि ये पसंद प्यार वाली थी या सिर्फ एक अच्छे इंसान की | लेकिन एक बात ज़रूर हुई थी इस बार तुलसी ने सोहित का ज़िक्र अपनी रिश्ते की दीदी से ज़रूर किया था |
और इस बार इन्तजार दोनों के ही लिए शुरू हुआ था | सोहित का इन्तजार तो प्यार वाला ही था, तुलसी का सिर्फ एक अच्छे इंसान वाला इन्तजार था ऐसा मान लेते हैं |
…………..
क्रमशः

“सन्दीप कुमार”
१९.०७.२०१६

Language: Hindi
2 Comments · 580 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम लौटता है धीमे से
प्रेम लौटता है धीमे से
Surinder blackpen
कहीं पहुंचने
कहीं पहुंचने
Ranjana Verma
लोग जाने किधर गये
लोग जाने किधर गये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्यार जिंदगी का
प्यार जिंदगी का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"यदि"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ लोग गुलाब की तरह होते हैं।
कुछ लोग गुलाब की तरह होते हैं।
Srishty Bansal
हमारा विद्यालय
हमारा विद्यालय
आर.एस. 'प्रीतम'
सम्मान से सम्मान
सम्मान से सम्मान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शीर्षक:
शीर्षक: "ओ माँ"
MSW Sunil SainiCENA
बेटियों से
बेटियों से
Shekhar Chandra Mitra
बेशक खताये बहुत है
बेशक खताये बहुत है
shabina. Naaz
नहीं कोई लगना दिल मुहब्बत की पुजारिन से,
नहीं कोई लगना दिल मुहब्बत की पुजारिन से,
शायर देव मेहरानियां
2712.*पूर्णिका*
2712.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
यह तो हम है जो कि, तारीफ तुम्हारी करते हैं
gurudeenverma198
#हमारे_सरोकार
#हमारे_सरोकार
*Author प्रणय प्रभात*
बस तुम
बस तुम
Rashmi Ranjan
मेहनत
मेहनत
Anoop Kumar Mayank
कविता
कविता
Shiva Awasthi
मेरी माटी मेरा देश
मेरी माटी मेरा देश
Dr Archana Gupta
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
अब तो आओ न
अब तो आओ न
Arti Bhadauria
कह दें तारों से तू भी अपने दिल की बात,
कह दें तारों से तू भी अपने दिल की बात,
manjula chauhan
💐अज्ञात के प्रति-83💐
💐अज्ञात के प्रति-83💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
20)”“गणतंत्र दिवस”
20)”“गणतंत्र दिवस”
Sapna Arora
पिता का पेंसन
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*नया साल बेतुका है (घनाक्षरी)*
*नया साल बेतुका है (घनाक्षरी)*
Ravi Prakash
नंदक वन में
नंदक वन में
Dr. Girish Chandra Agarwal
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
एक रावण है अशिक्षा का
एक रावण है अशिक्षा का
Seema Verma
Loading...