Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Mar 2017 · 1 min read

अदब

किसी’ इस्कूल की बेजान सी’ मजलिस जैसे!!
अदब है शहरे ख़मोशां की परस्तिश जैसे!!

तमाम चेहरों से मुस्कान ऐसे ग़ायब है,
पढ़ा रहा हो छड़ीदार मुदर्रिस जैसे!!

न जाने कैसे काटते हैं रहबरी में गला,
कि कोई मेमना हो मुफ़्त का मुफ़लिस जैसे!!

@ कुमार ज़ाहिद,
10.2.17, 6.04

1 Like · 2 Comments · 517 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यह आखिरी खत है हमारा
यह आखिरी खत है हमारा
gurudeenverma198
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
Suraj kushwaha
आह जो लब से निकलती....
आह जो लब से निकलती....
अश्क चिरैयाकोटी
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
Rohit yadav
नयी सुबह
नयी सुबह
Kanchan Khanna
जीयो
जीयो
Sanjay ' शून्य'
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Harminder Kaur
सामाजिक क्रांति
सामाजिक क्रांति
Shekhar Chandra Mitra
आपके अन्तर मन की चेतना अक्सर जागृत हो , आपसे , आपके वास्तविक
आपके अन्तर मन की चेतना अक्सर जागृत हो , आपसे , आपके वास्तविक
Seema Verma
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
फिर बैठ गया हूं, सांझ के साथ
Smriti Singh
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
पूर्वार्थ
*वीर सावरकर 【गीत 】*
*वीर सावरकर 【गीत 】*
Ravi Prakash
वक्त की जेबों को टटोलकर,
वक्त की जेबों को टटोलकर,
अनिल कुमार
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
Ravi Ghayal
चंदा मामा (बाल कविता)
चंदा मामा (बाल कविता)
Dr. Kishan Karigar
कवि की कल्पना
कवि की कल्पना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
होली आई रे
होली आई रे
Mukesh Kumar Sonkar
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
कवि दीपक बवेजा
आम आदमी
आम आदमी
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
■ चिंतनीय स्थिति...
■ चिंतनीय स्थिति...
*Author प्रणय प्रभात*
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Harish Chandra Pande
एक बेहतर जिंदगी का ख्वाब लिए जी रहे हैं सब
एक बेहतर जिंदगी का ख्वाब लिए जी रहे हैं सब
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
धार्मिक नहीं इंसान बनों
धार्मिक नहीं इंसान बनों
Dr fauzia Naseem shad
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
Annu Gurjar
कट गई शाखें, कट गए पेड़
कट गई शाखें, कट गए पेड़
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
गौरेया (ताटंक छन्द)
गौरेया (ताटंक छन्द)
नाथ सोनांचली
आम्बेडकर मेरे मानसिक माँ / MUSAFIR BAITHA
आम्बेडकर मेरे मानसिक माँ / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
💐प्रेम कौतुक-313💐
💐प्रेम कौतुक-313💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जन्म दिन
जन्म दिन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"शिक्षक"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...