*यूँ आग लगी प्यासे तन में*
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
होती नहीं अराधना, सोए सोए यार।
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
सुना है फिर से मोहब्बत कर रहा है वो,
जो बीत गयी सो बीत गई जीवन मे एक सितारा था
थोपा गया कर्तव्य बोझ जैसा होता है । उसमें समर्पण और सेवा-भा
बिन परखे जो बेटे को हीरा कह देती है
Sharminda kyu hai mujhse tu aye jindagi,
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जेसे दूसरों को खुशी बांटने से खुशी मिलती है
दानवीरता की मिशाल : नगरमाता बिन्नीबाई सोनकर
* रचो निज शौर्य से अनुपम,जवानी की कहानी को【मुक्तक】*