==* अच्छा लग रहा है *==
अच्छा लग रहा है खुलकर मुस्कुराना
अच्छा लग रहा है खुलकर गुनगुनाना
ना कोई बंधन ना किसीका चिल्लाना
अच्छा लग रहा है खुलकर मुस्कुराना
कब तलक भागता झूठे सपनो के पीछें
नही अपना जो उसे क्या अपना बनाना
मिलते है साथी बन हमसफ़र सफर में
बेवजह क्यों सबको फिर दिलमे बसाना
भागदौड़ भरी जिंगदी है भागते रहे सब
छूट जाता यहां प्यार अपनों से जताना
धन दौलत से मैंने भरली अपनी तिजोरी
बच्चों संग रह गया खेलना और खिलाना
माँ बाप ने की मेरी हर-एक मुराद पूरी
रह गया उनको अब तीरथ ले जाना
पत्नी के पल्लू से बंध गया था शायद
भावनाओंको माँ के समझा न जाना
जिंदगीभर भागा सुख शांती के पीछे
बाकी रहा हिसाब आँसुओ का लगाना
सपनो को छोड़ नींद से हु जब जागा
अच्छा लग रहा है खुलकर मुस्कुराना
सच कहता हु यारों
अच्छा लग रहा है खुलकर मुस्कुराना
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शशिकांत शांडिले, नागपूर
भ्र.९९७५९९५४५०