अंदाज़ अपना अपना
हर कोई समझता है ये राज़ अपना अपना
सबका ही अलहदा है अंदाज़ अपना अपना
कितना ही सितमग़र हो ख़ाविन्द किसी का भी
होता है मगर प्यारा सरताज़ अपना अपना
मिल जाएगी सफलता कामों में सोच कर के
करता है हर बशर तो आग़ाज़ अपना अपना
डरना न मुश्किलों से तारीख़ ये बताती
करके यकीं खुदा पर कर काज अपना अपना
छूना है आसमां को ये सोच कर के “प्रीतम”
भरता है हर परिन्दा परवाज़ अपना अपना
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
17/09/2017