Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2017 · 1 min read

अंतिम यात्रा

पति के मौत के तीन दिन बाद ही पत्नी की भी मौत हो जाती है । उसकी मौत मानो एक संदेश है ।

उड चुका था वह पंक्षी,
जो वर्षो से था साथ रहा,
तब जाकर मै उडी डाली से,
वर्षो से थी जुडी जहाँ ।

जीवन के हर वक्त गुजर गये,
हर नातो से नाता टूट गये,
नया जगत का वासी बन कर,
नव जीवन से जुडी यहाँ ।

हर जीवन की बात यही है,
मिलन विरह की बात सही है,
छोड़ चुकी जब निज जन आँगन,
अब पूनर्मिलन की बात कहाँ ।

अवलम्बन अब राम नाम का,
सहज भाव से जीवन जीना,
हो खुशियाँ भरपूर जीवन मे,
आशिष मेरा है सदा यहाँ ।

Language: Hindi
382 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2445.पूर्णिका
2445.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
समझ
समझ
Dinesh Kumar Gangwar
पैगाम डॉ अंबेडकर का
पैगाम डॉ अंबेडकर का
Buddha Prakash
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
Keshav kishor Kumar
परिवार का सत्यानाश
परिवार का सत्यानाश
पूर्वार्थ
इश्क की गली में जाना छोड़ दिया हमने
इश्क की गली में जाना छोड़ दिया हमने
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
बादल को रास्ता भी दिखाती हैं हवाएँ
Mahendra Narayan
बाढ़
बाढ़
Dr.Pratibha Prakash
पर्वतों का रूप धार लूंगा मैं
पर्वतों का रूप धार लूंगा मैं
कवि दीपक बवेजा
SHELTER OF LIFE
SHELTER OF LIFE
Awadhesh Kumar Singh
पावस
पावस
लक्ष्मी सिंह
मास्टरजी ज्ञानों का दाता
मास्टरजी ज्ञानों का दाता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इजहार ए इश्क
इजहार ए इश्क
साहित्य गौरव
किधर चले हो यूं मोड़कर मुँह मुझे सनम तुम न अब सताओ
किधर चले हो यूं मोड़कर मुँह मुझे सनम तुम न अब सताओ
Dr Archana Gupta
Noone cares about your feelings...
Noone cares about your feelings...
Suryash Gupta
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ms.Ankit Halke jha
ऐ बादल अब तो बरस जाओ ना
ऐ बादल अब तो बरस जाओ ना
नूरफातिमा खातून नूरी
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
शांति के लिए अगर अन्तिम विकल्प झुकना
शांति के लिए अगर अन्तिम विकल्प झुकना
Paras Nath Jha
तीन दशक पहले
तीन दशक पहले
*Author प्रणय प्रभात*
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
जालिम
जालिम
Satish Srijan
उल्फ़त का  आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
उल्फ़त का आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
sushil sarna
थोड़ी दुश्वारियां ही भली, या रब मेरे,
थोड़ी दुश्वारियां ही भली, या रब मेरे,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*सदियों बाद पधारे हैं प्रभु, जन्मभूमि हर्षाई है (हिंदी गजल)*
*सदियों बाद पधारे हैं प्रभु, जन्मभूमि हर्षाई है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
** पर्व दिवाली **
** पर्व दिवाली **
surenderpal vaidya
भारत मां की पुकार
भारत मां की पुकार
Shriyansh Gupta
अहसासे ग़मे हिज्र बढ़ाने के लिए आ
अहसासे ग़मे हिज्र बढ़ाने के लिए आ
Sarfaraz Ahmed Aasee
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
कविता
कविता
Rambali Mishra
Loading...