अंजामे मुहब्बत
मिलता है है मुफ़लिसी में सहारा कभी-कभी
किस्मत का है चमकता सितारा कभी-कभी
जिसने किया है इश्क तो दुनिया में आजकल
फिरता है मारा – मारा बेचारा कभी-कभी
उसका सफीना डूबता घिर के तुफानो में
छूटा है पास आकर किनारा कभी-कभी