” ——————————————– अँखियाँ गहरी गहरी ” !!
अधरों पर कुछ राज़ छिपे हैं , मुस्कानें हैं गहरी !
मनवा में विश्वास बसा है , नज़रें ठहरी ठहरी !!
खुशियां चेहरे पर छलके है , बनी सादगी कातिल !
जाने कितने डूब गये हैं , अँखियाँ गहरी गहरी !!
बिखराया है जादू ऐसा , वशीकरण ये कैसा !
तुमसा सुंदर और न होगा , लागे छवि रूपहरी !!
खोये खोये दूर कहीं तुम , दूर हो गये हम भी !
कौन पास नज़रों के आया , वक़्त बना है प्रहरी !!
हम भी अब तक झांक न पाये , दिल के कोने कोने !
मोहपाश में बांध दिया है , बड़ी सयानी ठहरी !!
बिन स्वारथ के नेह लगाया , देह नहीं आकर्षण !
हमें प्यार में नहीं डूबना , हम तो हैं मनलहरी !!
बृज व्यास