Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2017 · 1 min read

हो जाओ

मोहबत में गुलाब हो जाओ
मंजर ए मेहताब हो जाओ

इस तरह करो मोहबत हमसे
बिल्कुल लाजबाब हो जाओ

बस इतना ही कहूँगा साथी
चाँदनी मय रात हो जाओ

बस एक ही है ख्याहिश मेरी
तूम आँखों का ख्याब हो जाओ

भले जमाना हम पर सवाल उठाये
तुम सभी के लिये जबाब हो जाओ

माथे की लकीरों को बदल कर
तुम मेरी उजली शाम हो जाओ

बिल्कुल बेबाक निडर मेरी तरह
तुम खुली किताब हो जाओ

प्रकृति नियमो को तार तार कर
तुम गर्मी में बरसात हो जाओ

मेरे दिल की बंजर जमी पर साथी
तुम तेज सी बरसात हो जाओ

मेरी आँखों मे पतझड़ लगा है साथी
तुम मेरा महकता हुआ बसंत हो जाओ

मोहबत की चोट से कभी टूटना मत
तुम पाषाण से भी कठोर हो जाओ

लैला मंजनू हीर रांझा सी नही
तुम मुझे मिलो वैसी हो जाओ

राधा बन मुझे भले ही हँसना मत
लेकिन रुक्मिणी सा साथ हो जाओ

लोग मोहबत की मिसाल ताज से देते है
मेरी मुमताज तुम बेमिसाल हो जाओ

तुम मेरी आँखों मे बसती हुई साथी
ऋषभ की धड़कती आवाज हो जाओ

रचनाकर ऋषभ तोमर

1 Like · 256 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*फिर से बने विश्व गुरु भारत, ऐसा हिंदुस्तान हो (गीत)*
*फिर से बने विश्व गुरु भारत, ऐसा हिंदुस्तान हो (गीत)*
Ravi Prakash
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
Kshma Urmila
तोलेंगे सब कम मगर,
तोलेंगे सब कम मगर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हिंदी मेरी माँ
हिंदी मेरी माँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
मेरी हर इक ग़ज़ल तेरे नाम है कान्हा!
मेरी हर इक ग़ज़ल तेरे नाम है कान्हा!
Neelam Sharma
"Radiance of Purity"
Manisha Manjari
अनकही बातों का सिलसिला शुरू करें
अनकही बातों का सिलसिला शुरू करें
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
अभिनय चरित्रम्
अभिनय चरित्रम्
मनोज कर्ण
शब्द
शब्द
लक्ष्मी सिंह
विनय
विनय
Kanchan Khanna
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
Sahil Ahmad
अजीब सी चुभन है दिल में
अजीब सी चुभन है दिल में
हिमांशु Kulshrestha
कुंडलिया ....
कुंडलिया ....
sushil sarna
गिरते-गिरते गिर गया, जग में यूँ इंसान ।
गिरते-गिरते गिर गया, जग में यूँ इंसान ।
Arvind trivedi
😢शर्मनाक😢
😢शर्मनाक😢
*Author प्रणय प्रभात*
"अपने हक के लिए"
Dr. Kishan tandon kranti
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
मेरी बातें दिल से न लगाया कर
मेरी बातें दिल से न लगाया कर
Manoj Mahato
Pyasa ke dohe (vishwas)
Pyasa ke dohe (vishwas)
Vijay kumar Pandey
कफन
कफन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हे भगवान तुम इन औरतों को  ना जाने किस मिट्टी का बनाया है,
हे भगवान तुम इन औरतों को ना जाने किस मिट्टी का बनाया है,
Dr. Man Mohan Krishna
* राह चुनने का समय *
* राह चुनने का समय *
surenderpal vaidya
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
पूर्वार्थ
दुकान मे बैठने का मज़ा
दुकान मे बैठने का मज़ा
Vansh Agarwal
खेल रहे अब लोग सब, सिर्फ स्वार्थ का खेल।
खेल रहे अब लोग सब, सिर्फ स्वार्थ का खेल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
शब्द : एक
शब्द : एक
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
अम्बे भवानी
अम्बे भवानी
Mamta Rani
मत फैला तू हाथ अब उसके सामने
मत फैला तू हाथ अब उसके सामने
gurudeenverma198
Loading...