Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2017 · 1 min read

हिन्दी फैल रही दुनिया में…..

कविता- हिन्दी फैल रही दुनिया में

*लाल बिहारी लाल

हिन्दी हिन्दुस्तान की ही, रही नहीं अब भाषा
फैल रही है दुनिया में, बन जन-जन की आशा
हिन्दी हिन्दुस्तान की ही रही……..
आजादी में फर्ज निभाया, बनके जैसे फौजी
दसों दिशा के लोग बने, थे अजब मनमौजी
बनी देश की भाषा यह दुनिया की अभिलाषा
हिन्दी हिन्दुस्तान की ही रही……..
दुनिया में हिन्दी विना अब,सब कुछ है अधूरा
बिदेशी कंपनिया अब, ध्यान दे रही है पूरा
हिन्दी बेहतर हो रही पहले से यह भाषा
हिन्दी हिन्दुस्तान की ही रही……..
आर्यों–अनार्यों से चली, प्राकृत औऱ पाली
तत्सम,तदभव,देशज से बनी यह शक्तिशाली
युगों–युगों में लिपि निखरी निखरी यह भाषा
हिन्दी हिन्दुस्तान की ही रही……..
रौशन हो रही है हिन्दी, एशिया और जहान में
इसे ‘लाल’ संग और बढाओं पूरे इस जहान में
बुजुर्गों की शान रही है य़ुवाओं की अब आशा
हिन्दी हिन्दुस्तान की ही रही……
..
*सचिव –लाल कला मंच,नई दिल्ली

Language: Hindi
305 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
चांद-तारे तोड के ला दूं मैं
Swami Ganganiya
डर के आगे जीत है
डर के आगे जीत है
Dr. Pradeep Kumar Sharma
!! पुलिस अर्थात रक्षक !!
!! पुलिस अर्थात रक्षक !!
Akash Yadav
कांच की तरह
कांच की तरह
Dr fauzia Naseem shad
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
माया फील गुड की [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
अरशद रसूल बदायूंनी
अमिट सत्य
अमिट सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
इक शाम दे दो. . . .
इक शाम दे दो. . . .
sushil sarna
खरी - खरी
खरी - खरी
Mamta Singh Devaa
अंधेरों में मुझे धकेलकर छीन ली रौशनी मेरी,
अंधेरों में मुझे धकेलकर छीन ली रौशनी मेरी,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
2950.*पूर्णिका*
2950.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कौन कहता है कि नदी सागर में
कौन कहता है कि नदी सागर में
Anil Mishra Prahari
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
संपूर्ण कर्म प्रकृति के गुणों के द्वारा किये जाते हैं तथापि
Raju Gajbhiye
*कुहरा दूर-दूर तक छाया (बाल कविता)*
*कुहरा दूर-दूर तक छाया (बाल कविता)*
Ravi Prakash
धर्म-कर्म (भजन)
धर्म-कर्म (भजन)
Sandeep Pande
"साफ़गोई" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मुश्किल घड़ी में मिली सीख
मुश्किल घड़ी में मिली सीख
Paras Nath Jha
इक नयी दुनिया दारी तय कर दे
इक नयी दुनिया दारी तय कर दे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
इश्क मुकम्मल करके निकला
इश्क मुकम्मल करके निकला
कवि दीपक बवेजा
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
■ नया शब्द ■
■ नया शब्द ■
*Author प्रणय प्रभात*
तूफां से लड़ता वही
तूफां से लड़ता वही
Satish Srijan
गंगा दशहरा मां गंगा का प़काट्य दिवस
गंगा दशहरा मां गंगा का प़काट्य दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
डॉ अरुण कुमार शास्त्री x एक अबोध बालक x अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री x एक अबोध बालक x अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" लक्ष्य सिर्फ परमात्मा ही हैं। "
Aryan Raj
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
ruby kumari
बचपन की अठखेलियाँ
बचपन की अठखेलियाँ
लक्ष्मी सिंह
Loading...