क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?
आप हँसते हैं तो हँसते क्यूँ है
भेड़ों के बाड़े में भेड़िये
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
स्त्रियां पुरुषों से क्या चाहती हैं?
Mujhe laga tha irade majbut hai mere ,
"जब मानव कवि बन जाता हैं "
माँ तेरे चरणों मे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
क्या हुआ , क्या हो रहा है और क्या होगा
ग़रीब
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
मिली जिस काल आजादी, हुआ दिल चाक भारत का।
संवरना हमें भी आता है मगर,
पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज
आंखो में है नींद पर सोया नही जाता