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23 Jan 2017 · 1 min read

सिर्फ और सिर्फ हम दोनों पर कविता

कितनी बार चाहा कि लिखूँ
सिर्फ और सिर्फ
हम दोनों पर ही कविता

और खो जाएँ हम
एक दूसरे के अन्तःकरण में
इस तरह

फिर देख न पाये दुनिया

बस पढ़ ले कविता की पंक्तियाँ
हमारे चेहरे से झलकते प्यार में

✒लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
भोपाल

Language: Hindi
519 Views
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