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11 Jul 2017 · 1 min read

समयातीत

जीवन की वेदी पर
दुखाग्नि के हवन में
समय की आहुतियाँ
देता रहूँगा बार-बार

करता रहूँगा भस्मीभूत
तुम्हारे हर एक दारुण्य को
उठाऊंगा तुम्हे समय का हवाला देकर
बार बार..

डरना मत , मैं अभी हूँ
हाँ, चक्रव्यूहों में हूं
हाँ, कोरवों की सेना
मिलकर मुझे परास्त करेंगी
घेर लेंगी मुझे अकेला पा
हँसेगी , अठ्ठाहस करेंगी
उतारू होंगी, मेरे टुकड़े करने पर
मेरी दशा पर..

पल पल जब भी गिरूंगा
जब जब आंसुओ में मिल रक्त बहेगा
तब तब समय बाध्य करेगा
मुझे मरने को..

कोई आता है,
समयातीत
जो बहता है
मेरी धमनियों में .. शिराओं में
टूटे मेरे अस्थि पंजर मेरी भुजाओं में
मरते हुए भी जो जिन्दा रखता है मुझे
चुनौती दे देता है जो एक साथ
जो सैकड़ों कौरवों को,
जिसके सुदर्शन की छाया
ढाप लेती है संपूर्ण धरा को
मुझ सहित,
और फिर समय मुझे
बौना नज़र आता है..
मैं फिर जी उठता हूं!
———————————————————————

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 467 Views
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