#गीत//हँसी तुम्हारी खिलता गुलशन
हँसी तुम्हारी खिलता गुलशन , रात-चाँदनी मुस्क़ान है।
ज़ुल्फ़ घटाएँ काली-काली , आँखें सागर की शान हैं।।
लब गुलाब का मकरंद भरे , कोयल-से मीठे बोल हैं।
सावन जैसी मस्त जवानी , अदा-अदा में ज्यों तोल हैं।
चाल तुम्हारी हिरनी जैसी , चातक जैसे चित गान हैं।
ज़ुल्फ़ घटाएँ काली-काली , आँखें सागर की शान हैं।।
झरने जैसा ज़िग़र तुम्हारा , दिल है नगपति के रूप-सा।
बातें मनहर मानों जैसे , मन मीठे जल के कूप-सा।
सोच तुम्हारी मखमल-मखमल , गीता जैसे मान हैं।
ज़ुल्फ़ घटाएँ काली-काली , आँखें सागर की शान हैं।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’