Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2017 · 2 min read

(लघुकथा ) केयर

(लघुकथा )
केयर
*****
रघ्घू ओ रघ्घू की आवाज लगाते हुए मुकुंदीलाल ने घर के भीतर प्रवेश किया ।

अगले पल ही आया मालिक कहते हुए रघ्घू सामने खडा था

मालती कहाँ है? कैसी तबीयत है? रमेश आया नही क्या अब तक? सवालों की बोछार कर दी मुकुंदीलाल ने।

तबीयत कुछ ठीक नही मालकिन की मै अभी उनके पास दूध का गिलास रखकर आ रहा हूं पीने को मना कर रही हैं आप ही कहकर देखें सुबह से कुछ खाया भी नही… ऒर रमेश बाबू आये थे पर थोडी ही देर मे बीबी जी ऒर चीनू भैया को साथ लेकर निकल गये, कह कर गये हैं बाबू जी आयें तो बता देना कि आज चीनू के स्कूल मे पैरेन्ट्स टीचर मीटिंग है वहाँ पहुचना जरूरी है वरना स्कूल वाले शिकायत करते हैं कि पैरेन्ट्स बच्चों की केयर नही करते ….
ऒर यह भी कह गये हैं आने मे देर हो जायेगी इसलिये बाबू जी से कह देना अम्मा को वो ही दिखा लायेंगे डाँक्टर के पास ।
अच्छा अच्छा कहते हुये मुकुंदीलाल मालती के कमरे की ओर लपके देखा तो जीवनसंगिनी का बदन मारे बुखार के तपा जा रहा था । पास ही खडे रघु से कहा जा कटोरी मे थोडा ठण्डा पानी ऒर एक कपडे का टुकडा ले आ , ठण्डे पानी की पट्टी रखने से थोडा बुखार कम होगा तब मै मालती को डाँक्टर के यहाँ ले जाउंगा ।
अपनी धर्मपत्नी के माथे पर ठण्डे पानी की पट्टी रखते हुये मुकुन्दी बाबू सोचते जा रहे थे कि जब रघ्घू ने उनहे मालती की तबीयत बिगड़ने की खबर दी ऒर मैने रमेश को फोन पर कहा तेरी माँ की तबीयत ठीक नही ऒर मै भी घर पर नही हूं, तो बेटा तू जल्दी से घर पहुचकर अपनी माँ को डाक्टर के पास दिखा ला ऒर उसने हाँ बाबूजी अभी जाता हूं कहकर मुझे अाश्वस्त कर दिया था तभी उन्हे ध्यान आया कि उसी समय रमेश की दूसर फोेन पर बहू से बात करने की आवाज आ रही थी, कह रहा था अभी पहुचता हूं नीलू।

मुकुंदीलाल विचार करने लगे ये स्कूल वाले सही कह रहे थे कि पैरेन्ट्स अपने बच्चों का खयाल नही रखते या………….

गीतेश दुबे

Language: Hindi
472 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
"मुखौटे"
इंदु वर्मा
*आदत*
*आदत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
मन मूरख बहुत सतावै
मन मूरख बहुत सतावै
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
पूर्वार्थ
जिन्दा रहे यह प्यार- सौहार्द, अपने हिंदुस्तान में
जिन्दा रहे यह प्यार- सौहार्द, अपने हिंदुस्तान में
gurudeenverma198
उफ्फ्फ
उफ्फ्फ
Atul "Krishn"
तेरी याद
तेरी याद
Shyam Sundar Subramanian
अपनी-अपनी दिवाली
अपनी-अपनी दिवाली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विश्वामित्र-मेनका
विश्वामित्र-मेनका
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
AJAY AMITABH SUMAN
"बह रही धीरे-धीरे"
Dr. Kishan tandon kranti
अज्ञेय अज्ञेय क्यों है - शिवकुमार बिलगरामी
अज्ञेय अज्ञेय क्यों है - शिवकुमार बिलगरामी
Shivkumar Bilagrami
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Sakshi Tripathi
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
23/207. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/207. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#उपमा
#उपमा
*Author प्रणय प्रभात*
এটা আনন্দ
এটা আনন্দ
Otteri Selvakumar
ज़िंदगी से शिकायत
ज़िंदगी से शिकायत
Dr fauzia Naseem shad
मेरी प्यारी हिंदी
मेरी प्यारी हिंदी
रेखा कापसे
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बात हमको है बतानी तो ध्यान हो !
बात हमको है बतानी तो ध्यान हो !
DrLakshman Jha Parimal
टूटे बहुत है हम
टूटे बहुत है हम
The_dk_poetry
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
Anand Kumar
मेरी जिंदगी
मेरी जिंदगी
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरी तू  रूह  में  बसती  है
मेरी तू रूह में बसती है
डॉ. दीपक मेवाती
प्यार करने के लिए हो एक छोटी जिंदगी।
प्यार करने के लिए हो एक छोटी जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...