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30 May 2017 · 1 min read

रिश्ते

रिश्ते

कुछ हैं ख़ून के तो कुछ खुद ही बनाए रिश्ते।
बात ख़ास ये है कि किसने कितने निभाए रिश्ते।

बोझ लगते हैं अगर विश्वास न हो रिश्तों में
आओ हम प्यार के इजहार से हल्के बनाएं रिश्ते।

करें ऊँचे अंबर सी ऊंचाई से और
सागर से भी गहरे बनाएं रिश्ते।

अंधेरे मिटा देते हैं दिल के प्रेम की दिया सलाई से
होते हैं बड़े ही जगमगाते तारे से प्यारेसुनहरे रिश्ते​

करनी होती है निगेहबानी कि होते हैं नाजुक रिश्ते
शक की धूप से मुरझाते अक्सर ये कोमल रिश्ते।

कभी बेपरवाह और बेसहारा हो जाते
तो कभी अंधे, गूंगे और हैं बहरे रिश्ते ।

नीलम कितना भी कर जत्न तू इन्हें निभाने का
एक तरफ से नहीं निभते न ही ठहरे रिश्ते।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
Tag: गीत
299 Views
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