Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Feb 2017 · 1 min read

याद तेरी रुलाये तो मैं क्या करूं

तू मुझे याद आये तो मैं क्या करूँ
याद तेरी रुलाये तो मैं क्या करूँ

चांदनी रात ने बादलों से कहा
चाँद गर रूठ जाए तो मैं क्या करूँ

पेड़ हमने लगाये बड़े शौक़ से
फल जो उनपे न आये तो मैं क्या करूँ

एक तरफ़ा मुहब्बत मुबारक़ तुझे
मुझको जब तू न भाये तो मैं क्या करूँ

ओट में रोज़ घूँघट के मनमोहनी
मुझको ठेंगा दिखाए तो मैं क्या करूँ

आज पहली मुलाक़ात ने ऐ कँवल
होश तेरे उड़ाए तो मैं क्या करूँ

1 Like · 682 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कलम लिख दे।
कलम लिख दे।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"लड़कर जीना"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
Manisha Manjari
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
अनिल कुमार
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सृष्टि
सृष्टि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
लोकतंत्र का खेल
लोकतंत्र का खेल
Anil chobisa
दिल का दर्द आँख तक आते-आते नीर हो गया ।
दिल का दर्द आँख तक आते-आते नीर हो गया ।
Arvind trivedi
2763. *पूर्णिका*
2763. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
Anand Kumar
प्रेम प्रणय मधुमास का पल
प्रेम प्रणय मधुमास का पल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
त्यौहार
त्यौहार
Mukesh Kumar Sonkar
ऐसे नाराज़ अगर, होने लगोगे तुम हमसे
ऐसे नाराज़ अगर, होने लगोगे तुम हमसे
gurudeenverma198
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बसंत
बसंत
नूरफातिमा खातून नूरी
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
एक दिन यह समय भी बदलेगा
एक दिन यह समय भी बदलेगा
कवि दीपक बवेजा
माँ सच्ची संवेदना....
माँ सच्ची संवेदना....
डॉ.सीमा अग्रवाल
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
Ravi Prakash
लोगबाग जो संग गायेंगे होली में
लोगबाग जो संग गायेंगे होली में
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
रंजीत शुक्ल
रंजीत शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
यह 🤦😥😭दुःखी संसार🌐🌏🌎🗺️
यह 🤦😥😭दुःखी संसार🌐🌏🌎🗺️
डॉ० रोहित कौशिक
दीवाली की रात आयी
दीवाली की रात आयी
Sarfaraz Ahmed Aasee
तुम याद आ गये
तुम याद आ गये
Surinder blackpen
हमें उम्र ने नहीं हालात ने बड़ा किया है।
हमें उम्र ने नहीं हालात ने बड़ा किया है।
Kavi Devendra Sharma
बारिश में नहा कर
बारिश में नहा कर
A🇨🇭maanush
बढ़ना होगा
बढ़ना होगा
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
Loading...