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16 Mar 2017 · 1 min read

मेरा हमदम आज…..

?? ग़ज़ल ??

??????????

मेरा हमदम आज मुझको वो निशानी दे गया।
टूटती साँसों को जैसे ज़िंदगानी दे गया।

प्यार का प्यासा पथिक मरुथल में था भटका हुआ।
झील-सी आँखें मिला कर शादमानी(ख़ुशी) दे गया।

आस का सागर हिलोरें दिल में यूँ लेने लगा।
कोई आकर ज्वार-सा उसको रवानी दे गया।

मुस्कुराई रात बनके रातरानी अधखिली।
नैन में बसके कई यादें सुहानी दे गया।

राज़ के पर्दे हटाकर बो गया कुछ ख़्वाब भी।
होंठ होठों से मिला नूतन कहानी दे गया।

सुरमयी-सी साँझ में रतनार-से नैना हुए।
भर मुझे आगोश में दौलत रूहानी दे गया।

ये ग़ज़ल अब जिंदगी की दास्तां होने लगी।
गुनगुना कर वो इसे फिर धुन पुरानी दे गया।

प्यार के इक तेज़ झोंके में
ढहा मेरा क़िला
जाते-जाते मेरे हक़ में वो बयानी दे गया।

??????????
तेजवीर सिंह “तेज”

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