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7 Oct 2017 · 1 min read

मुक्तक

सूख गये अश्क़ तो आंखों में उतरेंगे कैसे,
टुकड़े टुकड़े दिल को कोई जोड़े तो कैसे,
बेदर्द मुहब्बत तो दर्द क्या समझे बेदर्दी,
गम भी जहर है जहर को जहर मारे कैसे,
कवि बेदर्दी

Language: Hindi
451 Views
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