Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2017 · 1 min read

भैया क्या हुआ?

????
भैया क्या हुआ?
जो तुम इतने दूर हो गये।
क्यो नहीं मिलने आते,
क्यो इतने मजबूर हो गये?
?
मेरे गली से गुजरे,
घर मेरे ना आये।
कैसे आप का हृदय,
इतने कठोर हो गये?
?
कुछ तो कहिये,
कुछ तो बोलिये।
क्या हुई हमसे भूल,
क्या कसूर हो गये?
?
भाई-बहन को भूला दे,
बेकसूरों को सजा दे।
शादी करके,विदाई करके,
भूला देना,क्या समाजिक
दस्तूर हो गये?
?
कुछ तो बोलो,
क्यो इतने मजबूर हो गये?
क्या हुआ जो
इतने दूर हे गये?
???? -लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
516 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
देती है सबक़ ऐसे
देती है सबक़ ऐसे
Dr fauzia Naseem shad
मैं लिखता हूँ जो सोचता हूँ !
मैं लिखता हूँ जो सोचता हूँ !
DrLakshman Jha Parimal
माशूक की दुआ
माशूक की दुआ
Shekhar Chandra Mitra
पूस की रात
पूस की रात
Atul "Krishn"
लघुकथा-
लघुकथा- "कैंसर" डॉ तबस्सुम जहां
Dr Tabassum Jahan
मुस्कुराओ तो सही
मुस्कुराओ तो सही
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
*तन्हाँ तन्हाँ  मन भटकता है*
*तन्हाँ तन्हाँ मन भटकता है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
Dr. Man Mohan Krishna
इशारों इशारों में ही, मेरा दिल चुरा लेते हो
इशारों इशारों में ही, मेरा दिल चुरा लेते हो
Ram Krishan Rastogi
तुम हारिये ना हिम्मत
तुम हारिये ना हिम्मत
gurudeenverma198
बात सीधी थी
बात सीधी थी
Dheerja Sharma
ठोकरे इतनी खाई है हमने,
ठोकरे इतनी खाई है हमने,
कवि दीपक बवेजा
कहाॅ॑ है नूर
कहाॅ॑ है नूर
VINOD CHAUHAN
घर हो तो ऐसा
घर हो तो ऐसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सफ़र
सफ़र
Shyam Sundar Subramanian
प्रकृति का प्रकोप
प्रकृति का प्रकोप
Kanchan verma
!! नववर्ष नैवेद्यम !!
!! नववर्ष नैवेद्यम !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
जमाने को खुद पे
जमाने को खुद पे
A🇨🇭maanush
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
दिवाली मुबारक नई ग़ज़ल विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"बल और बुद्धि"
Dr. Kishan tandon kranti
ये आकांक्षाओं की श्रृंखला।
ये आकांक्षाओं की श्रृंखला।
Manisha Manjari
*बदन में आ रही फुर्ती है, अब साँसें महकती हैं (मुक्तक)*
*बदन में आ रही फुर्ती है, अब साँसें महकती हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
*कमबख़्त इश्क़*
*कमबख़्त इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
नमस्ते! रीति भारत की,
नमस्ते! रीति भारत की,
Neelam Sharma
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
Sanjay ' शून्य'
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
मां तेरा कर्ज ये तेरा बेटा कैसे चुकाएगा।
Rj Anand Prajapati
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
Phool gufran
अनुभूति, चिन्तन तथा अभिव्यक्ति की त्रिवेणी ... “ हुई हैं चाँद से बातें हमारी “.
अनुभूति, चिन्तन तथा अभिव्यक्ति की त्रिवेणी ... “ हुई हैं चाँद से बातें हमारी “.
Dr Archana Gupta
Loading...