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7 Oct 2016 · 1 min read

बीमार कलम

कोई नहीं जानता
पर मै जानती हूं
बहुत अच्छा नहीं पर मै लिखती हूं

आज फिर कुछ सुन्दर विचारो के साथ
मै लिखने बैठ गयी

दिल मे धडकन, हाथो मे फडकन ,मस्तिष्क मे विचार
मगर कलम था जैसे बीमार लाचार
कईपन्ने फटे, कई को मैने फाड दिया
समझ न आये आज कलम को क्या हुआ
असफल हुई कई कोशिशो के बाद
अचानक आया मुझे याद
आज मैने किसी का शायद दिल दुखा दिया
जो लिखती हूं उसके विपरीत कुछ किया
क्या सभी के हाथो मे ,ऐसे ही कलम होते है
जो सिर्फ हाथो से नही आत्मा से चलते है
किससे पूंछू कि वो कलम कहां मिलते है
जो कुछ सोचते नही , बस लिखते ,लिखते और लिखते है

Language: Hindi
285 Views
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