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4 Feb 2017 · 1 min read

बाँट रहे रे

बेशर्म की कलम से

अब ना अपने ठाठ रहे रे।
निज जख्मों को चाट रहे रे।।

कलतक जो मेरे अपने थे।
वो ही मुझको डांट रहे रे।।

क्रीम पावडर के इस युग में।
हर कोई दिखता हॉट रहे रे।।

भैया जी को मिली रेबड़ी।
चीन्ह चीन्ह कर बाँट रहे रे।।

जिससे पूछा हाल बेशरम।
कहे समय को काट रहे रे।।

विजय बेशर्म
गाडरवारा 9424750038

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