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27 Sep 2016 · 1 min read

फीकी फीकी है हरियाली

नहीं गगन में है वो लाली
फीकी फीकी है हरियाली

अन्न हवा पानी ले दूषित
तन मन ने बीमारी पाली

भौतिकता में चूर हुए हम
जीवन कितना दिखता जाली

आँखे खोलो मानव जागो
वरना रह जाओगे खाली

जो दोगे वो ही पाओगे
दो हाथों से बजती ताली

मिला हमें कुदरत से जो भी
उसकी करनी है रखवाली

पेड़ों को देकर तुम जीवन
पाओगे असली खुशहाली

डॉ अर्चना गुप्ता

2 Comments · 647 Views
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