Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2017 · 1 min read

ज्ञान-दीपक

सूर्य डरता ना कभी भी बदलियों के राज से।
कुछ समय तक छिपे पर वह पुनि उगेगा नाज से।
मग के पत्थर रोक सकते न कभी आलोक-डग।
ज्ञान-दीपक जगमगाते हर्ष बन ऋतुराज से।
………………………………….
✓इस मुक्तक को मेरी कृति “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” में भी पढ़ा जा सकता है।
✓”पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” कृति का द्वितीय संस्करण अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

बृजेश कुमार नायक

Language: Hindi
1 Like · 701 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak
View all
You may also like:
* कैसे अपना प्रेम बुहारें *
* कैसे अपना प्रेम बुहारें *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हिन्दी दोहे- सलाह
हिन्दी दोहे- सलाह
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
■ प्रणय का गीत-
■ प्रणय का गीत-
*Author प्रणय प्रभात*
आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
पूर्वार्थ
मुस्कराता चेहरा
मुस्कराता चेहरा
shabina. Naaz
फल का राजा जानिए , मीठा - मीठा आम(कुंडलिया)
फल का राजा जानिए , मीठा - मीठा आम(कुंडलिया)
Ravi Prakash
किसको दोष दें ?
किसको दोष दें ?
Shyam Sundar Subramanian
इश्क़ कर लूं में किसी से वो वफादार कहा।
इश्क़ कर लूं में किसी से वो वफादार कहा।
Phool gufran
गांव का दृश्य
गांव का दृश्य
Mukesh Kumar Sonkar
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
कवि रमेशराज
कर न चर्चा हसीन ख्वाबों का।
कर न चर्चा हसीन ख्वाबों का।
सत्य कुमार प्रेमी
ऋतुराज वसंत
ऋतुराज वसंत
Raju Gajbhiye
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रक्षाबंधन का त्योहार
रक्षाबंधन का त्योहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
तारों से अभी ज्यादा बातें नहीं होती,
manjula chauhan
इंद्रधनुष सा यह जीवन अपना,
इंद्रधनुष सा यह जीवन अपना,
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बेवक़ूफ़
बेवक़ूफ़
Otteri Selvakumar
छत्रपति शिवाजी महाराज की समुद्री लड़ाई
छत्रपति शिवाजी महाराज की समुद्री लड़ाई
Pravesh Shinde
बूँद-बूँद से बनता सागर,
बूँद-बूँद से बनता सागर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सफलता वही है जो निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण हो।
सफलता वही है जो निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण हो।
dks.lhp
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
चिट्ठी पहुंचे भगतसिंह के
चिट्ठी पहुंचे भगतसिंह के
Shekhar Chandra Mitra
शब्द गले में रहे अटकते, लब हिलते रहे।
शब्द गले में रहे अटकते, लब हिलते रहे।
विमला महरिया मौज
दूर हो के भी
दूर हो के भी
Dr fauzia Naseem shad
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
Kshma Urmila
हे प्रभु !
हे प्रभु !
Shubham Pandey (S P)
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
Anis Shah
* फागुन की मस्ती *
* फागुन की मस्ती *
surenderpal vaidya
हिन्दी
हिन्दी
लक्ष्मी सिंह
सीढ़ियों को दूर से देखने की बजाय नजदीक आकर सीढ़ी पर चढ़ने का
सीढ़ियों को दूर से देखने की बजाय नजदीक आकर सीढ़ी पर चढ़ने का
Paras Nath Jha
Loading...