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25 Feb 2017 · 2 min read

नयी सदी को मिल रही, ये कैसा सौगात।

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ —
???????
नयी सदी को मिल रही,ये कैसी सौगात ।
भारत माता दर्द से, कराह रही है आज ।।

फैला धर्म – पाखंड का चारों ओर अंधकार ।
तनिक ठहर जा देशभक्त, इस पर करो विचार ।।

पथहीन, दिग्भ्रमित नेता और भ्रष्ट है सरकार ।
काले धंधे, रिश्वतखोरी आज बने व्यपार ।।

गंगा मैली हो गई, वायु में भरा विकार ।
गंदा खाना खा – खा कर लोग हो रहे हैं बीमार ।।

फैल रहा है संगठित अपराधकर्ता, अवैध कारोबार ।
यहाँ दर – दर भटक रहा है, शिक्षित बेरोजगार ।।

कहीं बाढ़, भूकंप तो कही सूखे की मार ।
फांसी पर लटक रहा है, किसान होकर लाचार।।

कही भूख रोटी की, बेघर, फटे कपड़े जार – जार।
कही गोदामों में दबा हुआ अनाजों का भंडार।।

अपनों के आगे अपने ही हो रहें हैं लाचार ।
दूर हो रहें हैं आज परिवार से परिवार ।।

आज हर एक रिश्तों में पड़ रही दरार ।
वृद्धाआश्रम में रो रहें हैं माता-पिता बीमार ।।

ईर्ष्या, द्वेष, अन्याय और निर्दयता का व्यवहार ।
नई पीढी को मिल रही है, ये कैसी शिक्षा और संस्कार।।

हो रहा है सरेआम नारी की अस्मत का व्यपार ।
क्या? मातृभूमि को था इसी दिन का इंतजार ।।

सच्चे देशभक्त की देश को ज्यादा जरूरत है आज ।
क्योंकि देश के दुश्मन देश में ही बैठे हैं सेंधमार ।।

रह गए हैं महापुरूषों के सपने स्वार्थ के मझधार ।
सोचो इनके सपनों को हम कैसे करेंगे सकार ।।

सजग हो जाओ,
समझो देश के प्रति अपना कर्तव्य और अधिकार ।
देश के लिए हर मायने में बनो वफादार ।।

चलो सच्ची श्रद्धान्जली दे देश के लिए कुर्बान शहीदों पर ।
एक नई क्रान्ती लाये देश में हम खब मिलकर ।।

देश में अमन- शान्ति लायेगे अब हर कीमत पर ।
रौशन करेंगे हर घर – आँगन दीपों से मिलजुलकर ।।

फैलाएँगें तिरंगा की शान पूरे विश्व भर ।
चलो कसम खाते हैं इस आजादी दिवस पर ।।

?जय हिंद ?वन्दे मातरम्?
—लक्ष्मी सिंह ?

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 457 Views
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