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11 Aug 2017 · 1 min read

दर्द को हर्फ हर्फ लिखना छोड़ दिया

दर्द को हर्फ हर्फ लिखना छोड़ दिया
माथे की सिलवटे पढ़ना छोड़ दिया

बंद हो गई है हिचकिया आना अब
उन्होंने जो याद करना छोड़ दिया

तबीयत बिगड़ जाती पास आने से
अब दिल भी धड़कना छोड़ दिया

ईमान डोल जाता देख हसीना को
ईमान भी अब डोलना छोड़ दिया

पा के चंद खुश्बू मदहोश हो जाते
ये फिजा जो महकना छोड़ दिया

एक रात ना गुजरती बगैर जिसके
उस शख्स ने तड़पना छोड़ दिया

ना रही इश्क में उन दिनो सा प्यार
मन ने भी तो मचलना छोड़ दिया

आँख जवाब दे जाती है हर वक्त
इसने पहले सा रोना छोड़ दिया

कोई एक जगह टिक भी ना सका
रवि भी तो फिसलना छोड़ दिया

#_रवि_कुमार_सैनी

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