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3 Jun 2017 · 1 min read

तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी

जनता पर वार उसी के हैं
चैनल-अख़बार उसी के हैं |
इसलिए उधर ही रंगत है
सारे त्योहार उसी के हैं |

सब अत्याचार उसी के हैं
अब थानेदार उसी के हैं |
हम सिसक रहे जिस बोझ तले
सारे अधिभार उसी के हैं |

कोड़े तैयार उसी के हैं
बिजली के तार उसी के हैं |
तू बचा सके तो बचा बदन
फैंके अंगार उसी के हैं |
+रमेशराज

Language: Hindi
459 Views
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