Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2016 · 1 min read

जीने का ढंग

जब कभी भी देखता हूँ ,
इस फैले आकाश में
करते हुए स्वच्छंद विचरण
पक्षियों के झुण्ड को ।
तो,मन कुछ चाहता है,सीखना ,
मसलन एकता ,
या केवल एकता ।
नयन कुछ चाहते हैं देखना
मसलन हरियाली
या केवल हरियाली ।
आत्मा कुछ चाहती है गाना
मसलन प्रेम
या केवल प्रेम ।
तब ,यह देह भी
कुछ चाहती है ओढ़ना
मसलन सहजता
या केवल सहजता ।
क्यों ? होता है ऐंसा ।
जब कभी भी देखता हूँ
इस फैले आकाश में
करते हुए स्वच्छंद विचरण
पक्षियों के झुण्ड को ।
शायद ! इसलिए-कि
बेज़ुवानों से भी हम
सीख सकते हैं
जीने का ढंग ।

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 1267 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किस्मत की टुकड़ियाँ रुकीं थीं जिस रस्ते पर
किस्मत की टुकड़ियाँ रुकीं थीं जिस रस्ते पर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
फोन:-एक श्रृंगार
फोन:-एक श्रृंगार
पूर्वार्थ
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए
Amit Pathak
संगीत का महत्व
संगीत का महत्व
Neeraj Agarwal
रमेशराज के समसामयिक गीत
रमेशराज के समसामयिक गीत
कवि रमेशराज
मां भारती से कल्याण
मां भारती से कल्याण
Sandeep Pande
सोच
सोच
Srishty Bansal
डबूले वाली चाय
डबूले वाली चाय
Shyam Sundar Subramanian
2488.पूर्णिका
2488.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सन्देश खाली
सन्देश खाली
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मित्रता का बीज
मित्रता का बीज
लक्ष्मी सिंह
फारवर्डेड लव मैसेज
फारवर्डेड लव मैसेज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
আমি তোমাকে ভালোবাসি
আমি তোমাকে ভালোবাসি
Otteri Selvakumar
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते है,
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
Quote
Quote
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शेष न बचा
शेष न बचा
Er. Sanjay Shrivastava
विचारमंच भाग -3
विचारमंच भाग -3
डॉ० रोहित कौशिक
मधुमय फागुन क्या करे,प्रियतम बिना उदास(कुंडलिया)
मधुमय फागुन क्या करे,प्रियतम बिना उदास(कुंडलिया)
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
मन तेरा भी
मन तेरा भी
Dr fauzia Naseem shad
ख़त्म होने जैसा
ख़त्म होने जैसा
Sangeeta Beniwal
सुप्रभात
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
एक ही दिन में पढ़ लोगे
एक ही दिन में पढ़ लोगे
हिमांशु Kulshrestha
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त
वक्त
Namrata Sona
ज़िन्दगी में अगर ऑंख बंद कर किसी पर विश्वास कर लेते हैं तो
ज़िन्दगी में अगर ऑंख बंद कर किसी पर विश्वास कर लेते हैं तो
Paras Nath Jha
ये कुछ सवाल है
ये कुछ सवाल है
gurudeenverma198
सुना है सकपने सच होते हैं-कविता
सुना है सकपने सच होते हैं-कविता
Shyam Pandey
मनमुटाव अच्छा नहीं,
मनमुटाव अच्छा नहीं,
sushil sarna
Loading...