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28 Jan 2017 · 1 min read

जियो जी भर के,..

हां!!!!

मुझे बहुत खुशी होती
जब कोई ये कहता
मेरी बेटी मेरा ही प्रतिरूप है

मैं भी देना चाहती थी
ये दुआ अपनी लाडली को
मेरी तरह ही वह भी जिए

पर नही दे पाई ये दुआ
क्यूंकि आज मेरी खुशहाली के पीछे
छुपे है जाने कितने मर्म,

कितने समझौते,कितने बंधन,
कितने बलिदान,कितने क्रंदन,
कितनी दहशत,कितनी बेबसी,

कितने ही टूटे हुए सपनों की चुभन,
कितने ही कुचले गए अरमानों का दर्द,
मुसकान की आड़ में कितने ही आंसू,

मैं नही चाहती तुम जियो मेरी तरह,
या मेरी तरह इस समाज में जी रही
दूसरी स्त्रियों की तरह,..दिखावे की खुशी,..

जाओ,…

जी लो जिंदगी,…पूरे करो सपनें,
सजा लो अपने अरमानों की दुनिया,..
बिना डरे,बिना हिचके,बिना रूके,

बिना बलिदान और समझौते किए,
पा लो अपनी मंजिल और सारे अधिकार,
वहशियत के इस दौर में दहशत को जीत लो,..

मत भूलो की नारी ही समाज का आधार है,
मैं नही कहूंगी मत करना सीमाओं हनन,…
क्यूंकि जानती हूं तुममें मेरे ही संस्कार है,..

जियो जी भर के,..
मेरी लाडली,..ये जिंदगी तुम्हारी है
यही मेरा आशीष तुम्हे हर पल हर बार है…..प्रीति सुराना

1 Like · 2 Comments · 610 Views
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