Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2016 · 1 min read

चूड़ियाँ……

चूड़ियाँ मुझको तब लुभाती हैं,
जब अनायास ही बज जाती हैं|
एक संगीत की सी स्वर लहरी,
बस मेरे मन में उतर जाती है|

मुझको वो खनखनाहट भाती है,
माँ के हाथों से जब भी आती है|
जब बनाकर वो प्यार से खाना,
अपने हाथों से खुद खिलाती है|
मुझको वो खनखनाहट भाती है..

मुझे वो खनखनाहट भाती है,
चाहे वो दूर से ही आती है|
राखियाँ बांधकर मेरी बहना,
आँख से नीर छलछलाती है|
मुझे वो खनखनाहट भाती है|

मुझे वो खनखनाहट भाती है,
हर समय मन को गुदगुदाती है|
जब भी आता हूँ मैं थका हारा,
बेटी सीने से लिपट जाती है|
मुझे वो खनखनाहट भाती है..

मुझे वो खनखनाहट भाती है,
मौन है फिर भी कुछ तो गाती है|
अलसुबह रोज़ जब प्रिया मेरी,
नहा के तुलसी को जल चढ़ाती है|
मुझे वो खनखनाहट भाती है,

-आर सी शर्मा “आरसी”
“दीपशिखा” विद्या विहार,
कोटा-342002

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Comment · 428 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आदमी का मानसिक तनाव  इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
आदमी का मानसिक तनाव इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
2668.*पूर्णिका*
2668.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-483💐
💐प्रेम कौतुक-483💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जय अयोध्या धाम की
जय अयोध्या धाम की
Arvind trivedi
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
धरती पर स्वर्ग
धरती पर स्वर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"संवाद "
DrLakshman Jha Parimal
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
पी रहे ग़म के जाम आदमी
पी रहे ग़म के जाम आदमी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रणक्षेत्र बना अब, युवा उबाल
रणक्षेत्र बना अब, युवा उबाल
प्रेमदास वसु सुरेखा
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
Harminder Kaur
=====
=====
AJAY AMITABH SUMAN
सपनों का अन्त
सपनों का अन्त
Dr. Kishan tandon kranti
अपनी कीमत उतनी रखिए जितना अदा की जा सके
अपनी कीमत उतनी रखिए जितना अदा की जा सके
Ranjeet kumar patre
बस अणु भर मैं
बस अणु भर मैं
Atul "Krishn"
उस रावण को मारो ना
उस रावण को मारो ना
VINOD CHAUHAN
*हो न लोकतंत्र की हार*
*हो न लोकतंत्र की हार*
Poonam Matia
वर्षा ऋतु
वर्षा ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
Taj Mohammad
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
gurudeenverma198
-- अजीत हूँ --
-- अजीत हूँ --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मर्द का दर्द
मर्द का दर्द
Anil chobisa
आपकी तस्वीर ( 7 of 25 )
आपकी तस्वीर ( 7 of 25 )
Kshma Urmila
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
विमला महरिया मौज
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
Buddha Prakash
एक उलझन में हूं मैं
एक उलझन में हूं मैं
हिमांशु Kulshrestha
लोग जाम पीना सीखते हैं
लोग जाम पीना सीखते हैं
Satish Srijan
#तेवरी-
#तेवरी-
*Author प्रणय प्रभात*
*कागभुशुंडी जी थे ज्ञानी (चौपाइयॉं)*
*कागभुशुंडी जी थे ज्ञानी (चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
Loading...